बोलता गांव डेस्क।। दुनिया भर में तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस के नये वैरिएंट ओमिक्रॉन के चलते खेल जगत को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा और कई सारे टूर्नामेंट को स्थगित करना पड़ रहा है।
आईपीएल 2022 के लिये होने वाली मेगा नीलामी का फैन्स बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, हालांकि इसे एक बार फिर से देरी का सामना करना पड़ सकता है, हालांकि यह देरी कोरोना वायरस के कारण नहीं है। दरअसल इंडियन प्रीमियर लीग के 15वें सीजन के लिये 2 नई टीमोंं अहमदाबाद और लखनऊ को जोड़ा गया है, जिसमें अहमदाबाद की फ्रैंचाइजी के मालिकाना हक वाली सीवीसी कैपिटल फर्म ने बीसीसीआई और आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल के लिये अब तक काफी मुश्किलें खड़ी हैं।
सितंबर में किये गये टीम ऑक्शन के दौरान अमेरिकन कंपनी सीवीसी कैपिटल ने अडानी ग्रुप को पछाड़ते हुए अहमदाबाद की टीम को 5625 करोड़ में खरीदा। हालांकि टीम की खरीदारी के महज 48 घंटे बाद यह खबर आयी कि इस अमेरिकी फर्म ने दो बेटिंग कंपनियों में निवेश किया है, जिसके चलते काफी विवाद शुरू हो गया।
बीसीसीआई ने मामले की जांच और करार को आगे बढ़ाने से संबंधी फैसला लेने के लिये सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों की एक न्यूट्रल समिति का गठन किया और इस मामले पर उनकी राय मांगी। आगे चलकर यह रिपोर्ट सामने आयी कि पैनल ने सीवीसी को क्लीन चिट दे दिया है और आईपीएल 2022 में उसके भाग लेने पर गेंद पूरी तरह से बीसीसीआई के पाले में है। हालांकि बोर्ड ने अभी तक फ्रैंचाइजी के भविष्य को लेकर फैसला नहीं किया है, जिसकी वजह से इंडियन प्रीमियर लीग का 15वां सीजन अधर में लटका हुआ है।
क्रिकबज पर छपी एक रिपोर्ट के अनुसार अहमदाबाद की टीम के कानूनी पक्षकार और बीसीसीआई एक ऐसे करार पर काम कर रहे हैं जिससे दोनों के लिये चीजें आसान हो जायें। बोर्ड ने यह तय कर लिया है कि वो अहमदाबाद के मालिकाना हक को सीवीसी कैपिटल्स के पास ही रहने देगा लेकिन करार के लिये कानूनी विशेषज्ञों की ओर से सही शब्दों का चयन करने में हो रही देरी की वजह से मामला आगे बढ़ रहा है।
गौरतलब है कि सीवीसी कैपिटल और बोर्ड के बीच जारी इस मामले में हो रही इस देरी का फर्क आईपीएल 2022 के मेगा ऑक्शन पर भी पड़ सकता है, जिसे पहले दिसंबर 2021 के आखिरी हफ्ते और जनवरी 2021 के पहले हफ्ते में आयोजित किया जाना था लेकिन इसी मामले के चलते फरवरी के दूसरे हफ्ते के लिये रिशेड्यूल किया गया था। हालांकि अभी तक करार नहीं हो पाने की वजह से बीसीसीआई को दोनों नई फ्रैंचाइजियों को कम से कम 15 दिन का समय देना होगा ताकि वो नॉन रिटेन प्लेयर्स में से 3 खिलाड़ियों को प्री ऑक्शन अपनी टीम में जोड़ सकें।