बोलता गांव डेस्क।। कोरोना वायरस बीमारी जिसे कोविड -19 भी कहा जाता है, उसे हमारी दुनिया में आए दो साल हो चुके हैं और पिछले दो सालों में कोविड की वजह से 50 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और करोड़ों लोग इस वायर, की वजह से प्रभावित हो रहे हैं। कोरोना वायरस ने शिक्षा से लेकर यात्रा तक…करीब करीब हर क्षेत्र को प्रभावित किया है और अब जबकि कई वैक्सीन आ चुके हैं, तब कोरोना वायरस के अलग अलग वेरिएंट लोगों की जिंदगी में काल बनकर मंडरा रहा है।
जहां कुछ देश समुद्री सीमा में घिरे होने की वजह से अभी तक कोरोना वायरस से बचे हुए हैं, तो कई ऐसे भी देश हैं, जिन्होंने सख्त यात्रा नीति की वजह से अभी तक खुद को बचा रखा है। उनमें से दो देशों में ट्रैवल पॉलिसी बिल्कुल तानाशाही अंदाज में लाया गया है। इसीलिए कुछ ऐसे भी देश हैं, जहां की हकीकत क्या है, इसके बारे में कोई भी नहीं जानता है। जबकि ये देश दावा कर रहे हैं, कि इन्होंने अभी तक कोरोना वायरस को अपने देश में आने से रोककर रखा हुआ है। आईये उन 10 देशों पर एक नजर डालते हैं, जिन्होंने अब तक कोई भी कोविड-19 के मामले दर्ज नहीं किए हैं।
दक्षिण प्रशांत में स्थिति देश तुवालु अब तक कोरोना वायरस से बचा हुआ है। तुवालु का दावा है कि, इस स्वतंत्र द्वीप ने कोरोना वायरस के संक्रमण को अपने तटों तक पहुंचने से रोक रखा है। हालांकि कॉमनवेल्थ के एक सदस्य, तुवालु ने कुछ मामलों में सख्त क्वारंटाइन यात्रा करने के लिए अपनी सीमाओं को सफलतापूर्वक बंद कर रखा है।
तुर्कमेनिस्तान ने कोरोनोवायरस बीमारी के किसी भी मामले को अभी तक स्वीकार नहीं किया है और इस देश का ये एक ऐसा दावा है, जिसने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अब तक आश्चर्य में डाल रखा है। क्योंकि, ये मध्य एशियाई देश उज्बेकिस्तान और अफगानिस्तान के साथ अपनी सीमाएं साझा करता है, और काफी हद तक काराकुम रेगिस्तान से घिरा हुआ है। एक ओर से यह कैस्पियन सागर को भी छूती है। डब्ल्यूएचओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहले बीबीसी को बताया कि इस बात की बहुत कम संभावना है कि तुर्कमेनिस्तान में वायरस नहीं फैल रहा है क्योंकि दुनिया पिछले दो सालों से इस वायरस से जूझ रही है।
उत्तर कोरिया को वैक्सीनेशन से भी कोई मतलब नहीं है। दरअसल, मीडिया के एक वर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि किम जोंग-उन के शासन ने देश को वायरस से मुक्त रखने के लिए सख्त नियम बना रखे हैं। वहीं, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि, उत्तर कोरिया में कुछ संक्रमितों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, ताकि वायरस फैले ही नहीं।
डब्ल्यूएचओ ने दक्षिण प्रशांत में एटोल के छोटे समूह को कोविड-19 से मुक्त के रूप में सूचीबद्ध किया है। टोकेलाऊ तीन एटोलों के एक समूह से बन है, जो 10 वर्ग किलोमीटर के संयुक्त क्षेत्र और 1,500 की आबादी वाला क्षेत्र है। इस देश में कोई हवाई अड्डा नहीं है और यहां तक पहुंचने के लिए न्यूजीलैंड से जहाज लेना होता है।
सेंट हेलेना को दुनिया के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों में से एक माना जाता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, सेंट हेलेना में प्रति 100 जनसंख्या पर दी जाने वाली कुल वैक्सीन खुराक 138 है।
ये प्रशांत महासागर में चार ज्वालामुखी द्वीपों का एक समूह है। सीआईए वेबसाइट पर कंट्री प्रोफाइल के अनुसार, इस द्वीपसमूह पर सिर्फ 50 लोग रहते हैं, जो एडमस्टाउन गांव के पास रहते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इस द्वीप पर रहने वाले लोगों ने अभी तक कोरोना वायरस का नाम भी नहीं सुना है।
यह द्वीप राष्ट्र दुनिया के सबसे बड़े प्रवाल द्वीपों में से एक है, जो न्यूजीलैंड से लगभग 2,500 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। न्यूजीलैंड ने कोविड-19 के खिलाफ अपनी लड़ाई में नीयू का समर्थन किया था।
यह आकार के हिसाब से दुनिया का तीसरा सबसे छोटा देश है। नाउरू किरिबाती का एक पड़ोसी देश है। देश में कोविड-19 की रिपोर्ट नहीं होने का कारण स्थानीय प्रशासन द्वारा लगाए गए यात्रा प्रतिबंध हैं।
यह हवाई से 3,200 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित है। यहां प्रशासन ने यात्रा प्रतिबंध जल्दी लगा दिए थे, और मुट्ठी भर उड़ानों के आने से इन मानदंडों को लागू करना आसान हो गया, जिससे कोविड-19 यहां पर बिल्कुल भी फैल नहीं पाया।
फेडरेशन ऑफ माइक्रोनेशिया 600 से अधिक द्वीपों से बना है। और इस देश को कोरोना वायरस से जंग लड़ने में हमेशा से संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और जापान जैसे देशों पूरा समर्थन मिला है, लिहाजा इस देश ने अभी तक अपनी सीमा में कोरोना वायरस को घुसने नहीं दिया है।