पंजाब के मोगा में गुरुवार देर रात भारतीय वायुसेना का मिग-21 लड़ाकू विमान क्रैश हो गया। इसमें पायलट अभिनव चौधरी शहीद हो गए।
देश ने आज फिर "हवा में उड़ते ताबूत" मिग 21 से जाबांज युवा पायलट अभिनव चौधरी को खो दिया है. लेकिन इसकी कहीं कोई चर्चा नहीं है. ये हादसा तब हुआ, जब भारतीय वायुसेना में स्क्वार्डन लीडर के तौर पर तैनात अभिनव चौधरी ने राजस्थान के सूरतगढ़ के लिए उड़ान भरी. जैसे ही विमान पंजाब के मोगा में नीचे गिरा वैसे ही उसमें आग लग गई. विमान क्रैश होने के बाद अभिनव उस दुर्घटनाग्रस्त विमान में नहीं मिले.
हादसे के 4 घंटे बाद मिला पायलट अभिनव का पार्थिव शरीर
लगभग 4 घंटे तक खोजने के बाद शहीद पायलट अभिनव चौधरी का पार्थिव शरीर मिल पाया.दरअसल, अभिनव पहले ही भांप गए थे कि उनका विमान के क्रैश होने वाला है. इसलिए वह उड़ते विमान से कूद गए लेकिन दुर्भाग्य से पैराशूट नहीं खुला. ऊंचाई से गिरने के कारण उनकी गर्दन टूट गई तथा वह शहीद हो गए.अभिनव चौधरी केवल भारतीय वायुसेना के एक बहादुर पायलट ही नहीं, बल्कि अच्छी सोच रखने वाले एक नेकदिल इंसान भी थे.
17 महीने पहले इनकी शादी हुई थी. इनकी शादी पूरे देश की मीडिया में चर्चा का विषय बन गई थी. एक तरफ़ जहां देश के कई हिस्सों में दूल्हे की नौकरी और पद के हिसाब से दहेज मांगा जाता है, वहीं शहीद अभिनव ने ससुराल की तरफ से मिलने वाली सारी नकद धनराशि सम्मान सहित लौटा दी थी और शगुन के तौर पर केवल एक रुपया अपने पास रखा था. उस समय अभिनव ने कहा था कि शादी में दहेज की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए.
बेटे को खोने के बाद पिता सत्येंद्र चौधरी डबडबाई आंखों से बोल पड़े
अपने बेटे को खोने के बाद पिता सत्येंद्र चौधरी डबडबाई आंखों से बोल पड़े कि देश के युवाओं से देश की सबसे पुरानी फाइटर प्लेन उड़वाई जा रही है. हर बार किसी न किसी तकनीकी खराबी के कारण किसी न किसी का लाल इस काल के गाल में समा जाता है. मेरा तो लाल चला गया लेकिन दूसरे का लाल जाने से पहले सरकार इस पुराने विमान को बंद कर देना चाहिए.
.जितने पायलट हमने युद्ध में नहीं खोए हैं उससे ज्यादा ऐसे हादसों में शहीद हो गए हैं.एक तरह की सरकार प्रायोजित हत्या है ये. विमानों के पुर्जे तक नहीं बदल पा रही है यह सरकार. दो साल पहले ऐसे ही हादसे में देश ने स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ वशिष्ठ ,दीपक पांडेय और विक्रांत सहरावत को खो दिया था. मिग 21 का एक जमाना था जब 1971 भारत पाक युद्ध और 1999 के कारगिल युद्ध में इन्होंने जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी,लेकिन अब ये मिग विमान अपनी बड़ी भूमिका हमारे लड़ाकू विमान पायलटों की जान लेने में निभा रही है
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बड़ौत-बुढ़ना रोड स्थित पुसार गांव निवासी अभिनव चौधरी का परिवार सी-91 गंगासागर कॉलोनी में रहता है। उनके पिता सतेंद्र चौधरी किसान हैं। 25 दिसंबर 2019 को अभिनव की शादी मेरठ में ही हुई थी। अभिनव की पत्नी सोनिका उज्जवल ने फ्रांस में मास्टर ऑफ साइंस की पढ़ाई की है।
देहरादून से शिक्षा, पुणे में ट्रेनिंग
अभिनव चौधरी इन दिनों पठानकोट एयरबेस में तैनात थे। उन्होंने IIMC देहरादून में 12वीं की परीक्षा पास की थी। इसके बाद उनका सिलेक्शन NDA में हुआ। पुणे में तीन साल के बाद हैदराबाद के AFA में वायुसेना की ट्रेनिंग पूरी की। अभिनव की मां सत्य चौधरी गृहिणी हैं, जबकि एक छोटी बहन मुद्रिका चौधरी है।
को विमान के क्रैश होने का अंदाजा हो गया था, इसलिए वे उड़ते विमान से कूद गए। लेकिन, पैराशूट नहीं खुला, जिससे गिरकर उनकी गर्दन टूट गई और वे शहीद हो गए।