भ्रष्टाचार को रोकने के लिए केंद्र सरकार का ऐतिहासिक फैसला, GST से जुड़े मामलों की जांच कर सकेगी ED, मनी लॉन्ड्रिंग में दर्ज होगा केस Featured

बोलता गांव डेस्क।।

 

नेशनल डेस्क। केन्द्र सरकार ने GST के संबंध में एक बड़ा फैसला लिया है। इस नए फैसले के मुताबिक फर्जी GST इनवॉइस के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट करने संबंधित फर्जीवाड़े को अंजाम देने वालों के खिलाफ आने वाले वक्त में कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। केन्द्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए शनिवार को एक गैजेट नोटिफिकेशन यानी अधिसूचना जारी की है। इस अधिसूचना के तहत अब केन्द्र सरकार मनी लॉन्ड्रिंग के कानून को और बल देते हुए गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क को पीएमएलए यानी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत सीधा दखल देने वाली है। इसका मतलब अब साफ हो गया है की गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क से अब हर डाटा, डक्यूमेंट, सबूतों को केंद्रीय जांच एजेंसी के साथ साझा किया जाएगा। जीएसटीएन की अगर बात करें तो ये जीएसटी के लिए ही ये एक प्लेटफार्म है।

 

जानें क्या होगा इसका असर

 

इस अधिसूचना का मतलब अब साफ हो गया है कि जीएसटी में फर्जीवाड़े को अंजाम देने वाले कारोबारी ,व्यापारी या कोई फर्म ,कंपनी के खिलाफ सीधे तौर पर ईडी की एंट्री अब आसान हो गई है। इस अधिसूचना का भविष्य में राज्यों के स्तर में इनपुट टैक्स क्रेडिट का फर्जी दावा करने वालों का दावा काफी बड़ा हो सकता है। क्योंकी कई राज्यों में देखने को मिला था की माल की झुलाई के लिए बिना इनवॉइस जनरेट किए ही आपूर्तिकर्ता उनही फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करते हैं। इस नए कानून के तहत उन लोगों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया जा सकता है जो फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट लेते हैं, इसके साथ ही जो फर्जी चालान जेनरेट करके सरकार को चूना लगाने का काम करते हैं।

 

सरकार को चूना लगाने की अगर बात करें तो साल 2019 -20 के दौरान ही फर्जी जीएसटी इनवॉइस के तहत करीब चार हजार करोड़ रूपये का चूना लगाया गया था , हालांकि उसके बाद जीएसटी खुफिया महानिदेशालय ने उसी दौरान करीब 24,000 करोड़ रुपये के फर्जी इनवॉइस को पकड़ा था ,उन तमाम मामलों पर जीएसटी विभाग में तफ्तीश चल रही है। इस नए पहल के मुताबिक कई मुखौटा कंपनियों के मार्फत टैक्स चोरी और जीएसटी चोरी करने वालें की अब खैर नहीं , क्योंकि अब साधारण से कारोबारी और सरकारी अधिकारी को भी इस मामले की जानकारी हो चुकी है की आज की तारीख में जांच एजेंसी ईडी कितनी मजबूत हो चुकी है और इसके मनी लॉन्ड्रिंग कानून से बचना बहुत मुश्किल होता है।

 

 

फर्जी जीएसटी इनवॉइस के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट करने संबंधित फर्जीवाड़े को अंजाम देने वालों के खिलाफ केन्द्र सरकार ने जो गैजेट नोटिफिकेशन यानी अधिसूचना जारी करके कानून बनाया है दरअसल इसकी नींव साल 2019 में ही रखी गई थी , जब केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो ने इस मामले में एक सुझाव विस्तार से प्रेजेंटेशन दिया गया था। उसके बाद उसी मामले पर गंभीरता से अध्ययन करने के बाद इसे लागू करने का फैसला सरकार ने लिया है।

 

 

अब मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी पीएमएलए एक्ट के तहत जब कार्रवाई होगी तो लोग भी अब जीएसटी चोरी या फर्जी जीएसटी इनवॉइस के मार्फत इनपुट टैक्स क्रेडिट करने से लोग डरेंगे। केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो की अगर बात करें तो ये खुफिया एजेंसी मुख्य तौर पर आईबी का ही एक रूप है जो मुख्य तौर पर आर्थिक और वित्तीय सेक्टर से जुड़े और वित्तीय मामलों के फर्जीवाड़े पर बेहद गंभीरता और सटीक नजर रखती है , उसके बाद उन तमाम मामलों पर एक विस्तार से रिपोर्ट बनाने के बाद वित्त मंत्रालय सहित अन्य जांच एजेंसियों से भी शेयर करती है

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