Chandrayaan-3 Mission : 14 जुलाई को होगी मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग, PM मोदी होंगे शामिल!…ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने कहीं ये बात Featured

बोलता गांव डेस्क।।

 

नेशनल डेस्क। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अधिक ईंधन एवं कई सुरक्षित उपायों से लैस ‘चंद्रयान-3′ का शुक्रवार (14 जुलाई) को प्रक्षेपण करने के साथ चंद्रमा पर उतरने का एक और प्रयास करने को तैयार है। इसके लिए चांद पर एक बड़ा ‘लैंडिंग स्थल’ निर्दिष्ट किया गया है। इसरो ने कहा कि इस बार इसने “विफलता-आधारित डिज़ाइन” का विकल्प चुना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कुछ चीजें गलत होने पर भी लैंडर चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतर सके।

 

चंद्रयान-3 शुक्रवार को दोपहर 2:35 बजे चंद्रमा के लिए उड़ान भरने को तैयार है। मिशन ‘चंद्रयान-3′ की लॉन्चिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या शामिल होंगे, इस सवाल के जवाब में इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि उन्हें लॉन्चिंग के लिए आमंत्रित किया गया है, लेकिन फिलहाल यह कंफर्म नहीं है कि वह इस मौके पर मौजूद रहेंगे या नहीं। एक न्यूज चैनल को इंटरव्यू देते हुए इसरो चीफ सोमनाथ ने कहा कि प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी समेत सभी उच्च अधिकारियों को आमंत्रित किया गया है, अब वे चंद्रयान-3 मिशन की लॉन्चिंग में शामिल होंगे या नहीं हम इस पर कुछ नहीं कह सकते।

 

 

फिलहाल यह निश्चित नहीं है कि पीएम मोदी मिशन की लॉन्चिंग में शामिल होंगे। बता दें कि इससे पहले साल 2019 में चंद्रयान-2 मिशन के लॉन्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए थे। 22 जुलाई, 2019 को लॉन्च किया गया चंद्रयान-2 सफल नहीं हो सका था और चांद पर लैंड करते ही वह क्रैश कर गया था। उस समय के. सिवान इसरो के अध्यक्ष थे और मिशन के फेल होने पर वे भावुक होकर रो पड़े थे, उस समय प्रधानमंत्री ने उन्हें संभाला और हौसला बढ़ाया था।

 

14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे चंद्रयान-3 मिशन को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। लॉन्चिंग के बाद 45 दिनों तक यान अंतरिक्ष में रहेगा। इसरो चंद्रयान-3 को एलवीएम-3 रॉकेट से अंतरिक्ष में भेजेगा। सोमनाथ ने कहा कि हमने बहुत सी विफलताओं को देखा- सेंसर की विफलता, इंजन की विफलता, एल्गोरिदम की विफलता, गणना की विफलता। इसलिए, जो भी विफलता हो, हम चाहते हैं कि यह आवश्यक वेग और निर्दिष्ट मान पर उतरे। इसलिए, अंदर अलग-अलग विफलता परिदृश्यों की गणना और योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया गया है।”

 

 

उन्होंने चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ के ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में असफल रहने का ब्योरा साझा करते हुए कहा कि जब इसने चंद्रमा की सतह पर 500 मीटर x 500 मीटर के निर्दिष्ट लैंडिंग स्थल की ओर उतरना शुरू किया तो इसके वेग को धीमा करने के लिए डिजाइन किए गए इंजनों में उम्मीद से अधिक बल विकसित हो गया। अधिक बल उत्पन्न होने से कुछ ही अवधि में त्रुटियां पैदा हो गईं। इस बार हमने उन सभी विफलताओं से सीखा है। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 में ईंधन भी अधिक है, जिससे इसमें यात्रा करने या पथ-विचलन को संभालने या वैकल्पिक लैंडिंग स्थल पर जाने की अधिक क्षमता है। इसरो प्रमुख ने कहा कि विक्रम लैंडर में अब अन्य सतहों पर अतिरिक्त सौर पैनल हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह बिजली उत्पन्न करता रहे, चाहे यह चंद्र सतह पर कैसे भी उतरे।

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