रायपुर। शहर में इन दिनों गली-मोहल्लों से लेकर मुख्य मार्गों तक चौतरफा चुनावी प्रचार-प्रसार देखने को मिल रहा है। बड़ी संख्या में रैलियां निकाली जा रही हैं। वहीं, प्रत्याशियों ने बड़ी संख्या में मजदूरों को भी प्रचार करने के लिए शामिल कर रहे हैं।
इसके चलते मजदूरों की संख्या कम हो गई है। चौड़ियों से लेकर बिल्डिंग साइटों पर काम करने वाले मजदूर नहीं पहुंच रहे हैं। कुछ ठेकेदारों ने बताया कि अधिकांश मजदूर चुनावी प्रचार प्रसार की रैलियों में चले जा रहे हैं। इसकी वजह से कामकाज प्रभावित हो रहा है।
नगर निगम क्षेत्र में लगभग चार से पांच जगह पर चौड़ियां हैं। वहां रोजाना बड़ी संख्या में मजदूर पहुंचते हैं। जरूरतमंद ठेकेदार और शहरवासी यहीं से मजदूर ले जाते हैं। लगातार चलने वाली इस प्रक्रिया में मजदूरों को अच्छा-खास पैसा और काम दोनों मिल जाता है।
मगर, मजदूरों को यहां पर दिनभर काम करना पड़ता है। वहीं, चुनावी प्रचार-प्रसार के दौरान उन्हें कम समय तक ही शामिल होना पड़ता है। लिहाजा, साइट के कामों को छोड़कर मजदूर प्रचार-प्रसार वाले काम में शामिल होने में रुचि दिखा रहे हैं।
दिनभर वाली चौड़ियां दो घंटे में खाली
शहर के अलग-अलग हिस्सों में लगने वाली चौड़ियां इस समय दो घंटे में खाली हो जा रही हैं। आम दिनों की बात करें तो दोपहर तीन बजे तक लगभग चौड़ियों में मजदूर मिल जाते थे।
मगर, इन दिनों अधिकांश चौड़ियों में सुबह-सुबह एक से दो घंटे मे चौड़ियां खाली जाती हैं। लेटलतीफी करने वाले ठेकेदारों और आम लोगों को दो घंटे बाद मुश्किल से मजदूर मिल रहे हैं।
महिलाओं मजदूरों की मांग अधिक
चुनावी प्रचार-प्रसार के लिए पुरुष मजदूरों से ज्यादा महिला मजदूरों की मांग हो रही है। कुछ मजदूरों ने बताया कि पुरुष मजदूर ज्यादा दाम मांगते हैं, इस कारण कम खर्च करके प्रचार के लिए महिला मजदूरों को ले जाया जाता है। वैसे भी नेताओं को रैली में भीड़ दिखानी है। इससे क्या फर्क पड़ता है कि उनमें पुरुष मजदूर ज्यादा हैं या महिला।
चुनाव बाद निर्माण कार्य पूरा करने का आश्वासन
शहर की अधिकांश जगहों पर ठेकेदारों द्वारा निर्माण कार्य पूरा करने की तिथि बढ़ाई जा रही है। ठेकेदारों का कहना है कि चौड़ी से मिलने वाले मजदूर कम हो गए हैं। इसके चलते काम प्रभावित हो रहा है।