बोलता गांव डेस्क।।
Digital Rape : देश में डिजिटल रेप (Digital rape) की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही। नोएडा में हाल ही में डिजिटल रेप का एक मामला सामने आया है जहां पुलिस ने आरोपी को फेस-2 बस स्टैंड से गिरफ्तार किया।
आरोपी ने सात साल की बच्ची के साथ डिजिटल रेप किया था। लोकल इंटेलिजेंस के इनपुट और CCTV फुटेज के आधार पर शुभम नाम का ये आरोपी पकड़ा गया। पीड़ित फैमिली की शिकायत दी थी कि 7 साल की बेटी दोपहर में गली में खेल रही थी तभी आरोपी टॉफी का लालच देकर उसे ले गया और नजदीक के एक मकान में ले जाकर उसके साथ गलत काम किया। पुलिस ने इसे डिजिटल रेप का मामला बताया है। जिसके बाद एक बार फिर से ये शब्द सुर्खियों में आ गया है।
क्या होता है Digital Rape?
कानून के जानकारों के मुताबिक डिजिटल रेप का मतलब यह नहीं कि, किसी लड़की या लड़के का शोषण इंटरनेट के माध्यम से जाल में फंसाकर किया जाए। यह शब्द दो शब्दों यानी ‘डिजिटल’ और ‘रेप’ से बना है। अंग्रेजी के ‘डिजिट’ का मतलब जहां अंक होता है। वहीं इंग्लिश डिक्शनरी के मुताबिक उंगली, अंगूठा, पैर की उंगली इन शरीर के अंगों को भी ‘डिजिट’ से संबोधित किया जाता है। यानी यह रेप की वो स्थिति है, जिसमें उंगली, अंगूठा या पैर की उंगली का इस्तेमाल किसी पीड़िता के नाजुक अंगों पर किया गया हो।
बता दें कि पिछले साल यूपी (UP) के नोएडा यानी गौतम बुद्ध नगर की जिला अदालत ने 65 साल के अकबर को डिजिटल रेप के मामले में दोषी करार दिया था। अली अकबर को उम्र कैद की सजा सुनाने से साथ 50 हजार का जुर्माना भी लगा था। ये भारत का पहला ऐसा डिजिटल रेप का मामला था, जिसमें आरोपी को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। ये वारदात 21 जनवरी 2019 को पश्चिम बंगाल निवासी 65 साल के अली अकबर ने अंजाम दिया था जो सलारपुर गांव में बेटी से मिलने आया था। उसी दौरान आरोपी ने पड़ोस में रहने वाली बच्ची को टॉफी देकर उसके साथ डिजिटल रेप किया था।
इसे सेक्शन 375 और पोक्सों एक्ट की श्रेणी में रखा गया। आपको बताते चलें कि 2013 से पहले भारत में छेड़खानी या डिजिटल रेप को लेकर कोई ठोस कानून नहीं था लेकिन निर्भया रेप कांड के बाद डिजिटल रेप को भी पोक्सो एक्ट (POCSO Act) के अंदर शामिल किया गया।