बोलता गांव डेस्क।।
सरगुजा जिले के सरकारी स्कूल में छोटे-छोटे बच्चों से मिस्त्री और मजदूरी का काम लिया जा रहा है। मामला मैनपाट ब्लॉक के प्राथमिक शाला दातीढाब का है। यहां बच्चे पढ़ने-लिखने के बजाय कुदाल और फावड़ा लेकर सीमेंट से मसाला तैयार करते और दीवार पर प्लास्टर लगाते हुए नजर आए। इस वीडियो के सामने आने के बाद शिक्षा विभाग में भी हड़कंप मच गया है।
बच्चों से काम कराने का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। हाथ में कुदाल लिए हुए बच्चे सहमे हुए से नजर आ रहे हैं। विभाग की लापरवाही और स्कूल के प्रधानपाठक की गैर मौजूदगी इन सबका प्रमाण है कि बच्चे पढ़ाई करने की जगह मजदूरी कर रहे हैं।
इधर प्राथमिक शाला दातीढाब के प्रधान पाठक विलियम तिर्की से जब मीडियाकर्मियों ने सवाल पूछे, तो उन्होंने कैमरे पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। वीडियो सामने आने के बाद पालकों में आक्रोश है। उनका कहना है कि वे अपने बच्चों को स्कूल पढ़ने-लिखने भेजते हैं, ताकि उनका भविष्य बन सके, जबकि स्कूल में उनसे मजदूरी कराई जा रही है। कलम थामने की उम्र में बच्चे के हाथों में स्कूल प्रबंधन ने कुदाल थमा दी है। ऊपर से बच्चों ने इसकी जानकारी घर पर नहीं दी, जिससे पता चलता है कि किस तरह से उन्हें कुछ भी बताने से मना किया गया होगा।
ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं और कहा कि अगर दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे आंदोलन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। बता दें कि दातीढाब के प्राइमरी स्कूल का जो वीडियो सामने आया है, उसमें छोटे बच्चे साफ-साफ श्रमिक का काम करते दिखाई दे रहे हैं। जहां एक बच्चा फावड़ा लेकर बालू और सीमेंट का मसाला बनाता दिख रहा है, तो वहीं दूसरा बच्चा हाथ में करनी लेकर दरवाजे को ठीक कर रहा है। एक बच्चा दीवार पर प्लास्टर लगाता हुआ भी नजर आ रहा है।
जिला शिक्षा अधिकारी ने दिए जांच के आदेश
इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी डॉ संजय गुहे ने कहा कि मामला हमारे भी संज्ञान में आया है। इसकी जांच के लिए विकासखंड शिक्षा अधिकारी को आदेश दे दिए गए हैं। जांच में जो भी आरोपी पाए जाएंगे, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। विकासखंड शिक्षा अधिकारी योगेश शाही ने भी आरोपियों पर कार्रवाई की बात कही है।
प्रदेश सरकार लगातार स्कूलों की गुणवत्ता को सुधारने की बात कह रही है। सरकार का पूरा जोर एजुकेशन पर है, इसके बावजूद अच्छी योजनाओं में खुद शिक्षक ही पलीता लगा रहे हैं, जबकि उनके ऊपर राष्ट्र निर्माण और व्यक्ति निर्माण की महती जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अपने भेंट-मुलाकात कार्यक्रमों में सबसे ज्यादा जोर शिक्षा पर ही दिया है। शिक्षक समय पर आएं, बच्चों को अच्छी तरह से पढ़ाएं, स्कूलों की हालत अच्छी रहे, बच्चों को किसी भी तरह की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़े, इस पर उनका पूरा फोकस है। लेकिन जो मामला मैनपाट से सामने आया है, वो शिक्षा विभाग को कटघरे में खड़ा कर रहा है।
पिछले साल बच्चों के झाड़ू लगाने का वीडियो हुआ था वायरल
पिछले साल सितंबर के महीने में सरगुजा संभाग के सूरजपुर जिले के सरकारी स्कूल से छात्राओं के झाड़ू लगाने का वीडियो सामने आया था, जो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। यहां के दतिमा माध्यमिक स्कूल की दो छात्राएं स्कूल कैंपस में झाड़ू लगा रही थीं, जबकि शिक्षिका वहां खड़ी होकर उन्हें सफाई के लिए निर्देशित कर रही थी। इसका वीडियो वहां से गुजर रहे एक ग्रामीण ने बना लिया था।
स्थानीय लोगों ने भी शिकायत की थी कि स्कूल की शिक्षिका बच्चों से ही झाड़ू के साथ-साथ पूरे शाला की साफ-सफाई का काम करवाती हैं। पढ़ने के टाइम में बच्चे अक्सर सफाई करते हुए नजर आते हैं। जब शिक्षिका से ग्रामीण ने पूछा था कि आप बच्चों से ये काम क्यों करवाती हैं, तो उन्होंने बेशर्मी से कहा था कि ये काम बच्चे नहीं करेंगे, तो कौम करेगा? इसे लेकर स्थानीय लोगों में काफी गुस्सा था।
बलौदा बाजार जिले से भी आया था बच्चों से काम करवाने का मामला
3 साल पहले बलौदा बाजार जिले के कसडोल से भी ऐसा ही मामला सामने आया था, जब बच्चों को समय से पहले स्कूल बुलाया जा रहा था। बाद में पालकों के पूछने पर बच्चों ने बताया था कि उनसे स्कूल की साफ-सफाई करवाई जाती है। विकासखंड मुख्यालय स्थित शासकीय मिनी माता कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला में 4 भृत्य होने के बावजूद भी झाड़ू बच्चे ही लगाते थे। तत्कालीन प्राचार्य आरके मनहर से सवाल पूछने पर उन्होंने कहा था कि कोई भृत्य उनकी बात नहीं मानता।