उज्जवल तिवारी बलरामपुर रामानुजगंज
एक तरफ छत्तीसगढ़ सरकार करोड़ों रूपए खर्च करके आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण अंग्रेजी शिक्षा देने के लिए आत्मानंद स्कूल संचालित कर रही है वहीं दुसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को मध्याह्न भोजन (mid day meal) के रुप में सुखा चावल और अंचार खाने के लिए दिया जा रहा है।
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दरअसल यह पुरा मामला बलरामपुर जिले के कुसमी जनपद पंचायत के अंतर्गत्त ग्राम पंचायत दातरम का है।
पोषणयुक्त आहार देने के वादे और दावे धरातल पर झुठे
https://www.youtube.com/watch?v=Jklmll3BLng
ग्रामीण क्षेत्र में प्रायः कुपोषण की बड़ी समस्या देखने को मिलती है, गरीबी के कारण पोषणयुक्त आहार नहीं मिल पाता है सरकार ने मध्यान भोजन योजना शुरू की थी जिसका उद्देश्य बच्चों को मध्यान भोजन के रूप में गुणवत्तापूर्ण भोजन उपलब्ध कराना है जिससे ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों को पर्याप्त मात्रा में पोषण मिल सके जिससे उनका उचित शारीरिक हो लेकिन वास्तविकता में धरातल पर सरकार के सभी वादे और दावे झूठे दिखाई पड़ रहे हैं।
प्रदेश भर में लगभग 18 महिने के बाद पुनः ऑफलाइन स्कूल प्रारंभ हुआ है छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा 2 अगस्त से कोविड 19 प्रोटोकॉल के नियम व शर्तों के साथ शिक्षाएं संचालित करने का आदेश जारी किया गया है लेकिन नियम व शर्ते के अनुसार क्लास लगाना थ लेकिन 7 दिवस भी नहीं बीते की बच्चों को सुखा चावल अचार खिलाया जा रहा है। वही कोरोना वायरस के नियम को ताक पर रख दिया गया। थोड़ी सी लापरवाही भारी पड़ सकती है ।
मामले की जांच कराएंगे: जिला शिक्षा अधिकारी बी एक्का
जब इसके बारे मे जिला शिक्षा अधिकारी से फोन पर जानकारी मांगी गई तो उन्होंने जांच की बात कही। वही ब्लॉक शिक्षा अधिकारी ने बताया की नोटिस जारी कर दिया गया है जाँच के लिए टीम गठित कर दिया गया है जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ कागजो मे ही जाँच करते है बच्चों के भविष्य के साथ ऐसे ही खिलवाड़ होता रहेगा।