बोलता गांव डेस्क।।
चॉक और स्लेट पर पढ़ाई करने वाले बच्चे स्मार्ट क्लास वाले बच्चों से रहते हैं आगे कानपुर। स्मार्ट इंटरएक्टिव डिस्प्ले, टैबलेट और लैपटॉप के इस दौर में आजकल के हाईटेक इंग्लिश मीडियम स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले पेरेंट समझते हैं कि इससे उनके बच्चे सबसे आगे रहेंगे, लेकिन विज्ञान ने तो यह सोच पूरी तरह गलत साबित कर दिया है। डेलीमेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में यूके के स्कूलों में हुई एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि प्राइमरी एजूकेशन के दौरान जो बच्चे स्मार्ट डिवाइसेस की बजाय पुराने जमाने की चॉक और स्लेट से पढ़ाई करते हैं, लर्निंग के मामले में वो बच्चे स्मार्ट क्लासेज वाले बच्चों से 2 महीने ज्यादा आगे चलते हैं।
फटाफट जवाब देकर पढ़ाई में रहते हैं तेज ब्रिंकवायर की रिपोर्ट बताती है कि यूनाइटेड किंगडम के 140 स्कूलों में 3 साल चली एक लंबी रिसर्च में जो रिजल्ट सामने आया है, वो बताता है कि पुराने जमाने के स्कूलों में प्राइमरी एजूकेशन के दौरान बच्चे चॉक और स्लेट द्वारा तुरंत ही किसी सवाल का जवाब यानी फीडबैक दे देते थे, जबकि आजकल टेबलेट, लैपटॉप या स्मार्ट क्लास की पढ़ाई के दौरान बच्चे आमतौर पर बाद में टेस्ट देते हैं। चॉक स्लेट सिस्टम में इंस्टैंट फीडबैक का आसान प्रोसेस होने के कारण वो बच्चे लर्निंग के मामले में ज्यादा फास्ट होते हैं। रिसर्च बताती है कि चॉक स्लेट से पढ़ने वाले बच्चे डिजिटल एजूकेशन वाले बच्चों से पढ़ाई के मामले में 2 महीने आगे चलते थे।
पुराने जमाने की तकनीक आज भी है प्रभावी डेलीमेल के मुताबिक यह नई रिसर्च बताती है कि भले ही आज कल क्लास रूम्स में इस्तेमाल किए जाने वाले इंटरैक्टिव व्हाइट बोर्ड, टैबलेट, क्रोमबुक के इस्तेमाल से बच्चों की पढ़ाई को ज्यादा स्मार्ट और हाईटेक बनाया जा रहा है लेकिन फिर भी पुराने समय में इस्तेमाल होने वाली चॉक और स्लेट छोटे क्लास के बच्चों में सीखने और बताने की ज्यादा तेज क्षमता विकसित करती है। हालांकि रिसर्च टीम का यह भी कहना है पढ़ाई की इस पुरानी तकनीक पर आधारित कोई डिजिटल ऐप भी लगभग वैसा ही प्रभाव हासिल कर सकती है। फिलहाल सीधी-साधी बात तो यह है कि ब्रिटेन के लिए चॉक और स्लेट पर पढ़ाई वाला यह तरीका भले ही बहुत पुराना हो, लेकिन भारत में तो आज भी सरकारी समेत तमाम स्कूलों में पढ़ाई ऐसे ही की जाती है, जो बच्चों को पढ़ाई में आगे रहने में मदद करती है।