रायपुर-
अभी कोरोना संक्रमण ठीक से काबू में आया नहीं और दूसरी ओर प्रदेश में एक और मुसीबत ने दस्तक देदी है।ब्लैक फंगस ने छत्तीसगढ़ में अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुकी है। प्रदेश वासियों में ब्लैक फंगस का डर देखा जा सकता है। धीरे धीरे प्रदेश भर में यह अपने पैर पसार रहा है।
राजधानी रायपुर के एम्स अस्पताल में 20 ब्लैक फंगल मरीजों का उपचार चल रहा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उपचार के लिए जरूरी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश स्वास्थ्य विभाग को दे दिए हैं।
ब्लैक फंगस के लक्ष्ण एवं बचाव ?
ब्लैक फंगस के लक्ष्ण?
- बुखार आ रहा हो, सर दर्द हो रहा हो, खांसी हो या सांस फूल रही हो।
- नाक बंद हो। नाक में म्यूकस के साथ खून आ रहा हो।
- आंख में दर्द हो। आंख फूल जाए, एक चीज दो दिख रही हो या दिखना बंद हो जाए।
- चेहरे में एक तरफ दर्द हो, सूजन हो या सुन्न हो।
- दांत में दर्द हो, दांत हिलने लगें, चबाने में दांत दर्द करे।
- उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आए।
कैसे बनाता है शिकार-
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से कोई व्यक्ति फंगल इंफेक्शन का शिकार हो सकता है. ब्लैक फंगस मरीज ..
किसे हो सकता है ब्लैक फंगस?
- कोविड के दौरान जिन्हें स्टेरॉयड्स- मसलन डेक्सामिथाजोन, मिथाइल, प्रेडनिसोलोन आदि दी गई हों।
- कोविड मरीज को ऑक्सिजन सपॉर्ट पर या आईसीयू में रखना पड़ा हो।
- कैंसर, किडनी, ट्रांसप्लांट आदि की दवाएं चल रही हों
कैसे बचें-
ब्लैक फंगस से बचने के लिए धूल वाली जगहों पर मास्क पहनकर रहें. मिट्टी, काई या खाद जैसी चीजों के नजदीक जाते वक्त जूते, ग्लव्स, फु स्लीव्स शर्ट और ट्राउजर पहनें. साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें. डायबिटीज पर कंट्रोल, इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग ड्रग या स्टेरॉयड का कम से कम इस्तेमाल कर इससे बचा जा सकता है.
क्या न करें-
ब्लैक फंगस से बचने के लिए इसके लक्षणों को बिल्कुल नजरअंदाज न करें. बंद नाक वाले सभी मामलों को बैक्टीरियल साइनसाइटिस समझने की भूल न करें. खासतौर से कोविड-19 और इम्यूनोसप्रेशन के मामले में ऐसी गलती न करें
सावधानियां-
- खुद या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टरों, दोस्तों, मित्रों, रिश्तेदारों के कहने पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू न करें।
- लक्षण के पहले 5 से 7 दिनों में स्टेरॉयड देने के दुष्परिणाम हो सकते हैं। बीमारी शुरू होते स्टेरॉयड शुरू न करें। इससे बीमारी बढ़ सकती है।
- स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल 5 से 10 दिनों के लिए देते हैं, वह भी बीमारी शुरू होने के 5 से 7 दिनों बाद, केवल गंभीर मरीजों को। इससे पहले बहुत सी जांच होना जरूरी हैं।
- इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें की इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है, अगर है तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही हैं।
- स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें।
- घर पर अगर ऑक्सिजन लगाया जा रहा है तो उसकी बोतल में उबालकर ठंडा किया हुआ पानी डालें या नॉर्मल स्लाइन डालें, बेहतर हो अस्पताल में भर्ती हों।
क्या हैं KOH टेस्ट और माइक्रोस्कोपी
फंगल एटियोलॉजी का पता लगाने के लिए KOH टेस्ट और माइक्रोस्कोपी की मदद लेने से न घबराएं. यदि डॉक्टर्स इसका तुरंत इलाज करने की सलाह दे रहे हैं तो उसे इग्नोर न करें. रिकवरी के बाद भी इसके बताए गए लक्षणों को अनदेखा न करें, क्योंकि कई मामलों में फंगल इंफेक्शन रिकवरी के एक सप्ताह या महीनेभर बाद भी उभरते देखा गया है.
ब्लैक फंगस के मामले अब महाराष्ट्र छत्तीसगढ़ के अलावा दूसरे राज्यों में भी मिलने लगे हैं. इस वक्त गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान में ब्लैक फंगस के मामले देखे जा रहे हैं. ये मरीज की आंख, नाक की हड्डी और जबड़े को भी बहुत नुकसान पहुंचा सकता है.
आपको बता दें की प्रदेश में ब्लैक फंगल संक्रमण की जानकारी प्राप्त हुई है। मुख्यमंत्री द्वारा निर्देशित प्रदेश के सभी खाद्य एवं औषधि प्रशासन नियंत्रक ने सभी निरीक्षको को दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है।