रायपुर। महापौर के पद पर चुनाव लड़ने के लिए पार्टियों की दिग्गज नेत्रियों ने भी दावेदारी ठोंक दी है। इसके बाद अब कमेटियों के शीर्ष नेतृत्व के लिए नाम फाइनल करना चुनौती पूर्ण हो गया है।
अंदर ही अंदर खबर है कि कांग्रेस से जहां दिग्गज नेता की पत्नी को टिकट दिया जा सकता है। वहीं, बीजेपी में दो की लड़ाई का फायदा तीसरे वर्ग को मिल सकता है। हालांकि, किसकी दावेदारी चयनकर्ताओं को प्रभावित करती है, इसका राजफाश 26 तक होने की संभावना है।
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वहीं, पार्षद के दावेदार प्रत्याशियों ने दोहरी दावेदारी शुरू कर दी है। वार्ड के आरक्षित होने के कारण वे स्वयं दूसरे वार्ड से दावेदारी कर रहे हैं। जहां वार्ड महिला आरक्षित हुआ है वहां घर की महिला सदस्य के लिए टिकट मांग रहे हैं। कुछ ने तो मेयर के लिए भी अपनी पत्नी का नाम आगे बढ़ा दिया है।
दिल्ली तक दौड़ लगा रहे हैं नेता
महापौर पद के लिए कुछ दिग्गज नेता दिल्ली तक दौड़ शुरू कर चुके हैं। चर्चा है कि प्रदेश कमेटी के पास जब उनकी गोटी फिट होते दिखाई नहीं दी तो उन्होंने दिल्ली से टिकट लेकर आने की ठान ली है।
नगर निगम के 70 वार्डों में पहचान के साथ नाम स्थापित करने वाले व्यक्ति को टिकट देने के पक्ष में कमेटी के वरिष्ठ सदस्य सुझाव दे रहे हैं। मगर, पहुंच लगाकर टिकट लेने की पूरी कोशिश की जा रही है।
वहीं, जिन्हें टिकट मिलने की पूरी उम्मीद है, वे भी दक्षिण के उपचुनाव में हुए फैसले के बाद कुछ भी होने की संभावना जता रहे हैं।
निर्दलियों ने शुरू किया प्रचार
निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों ने अपना प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है। प्रत्याशियों की माने तो उनके लिए टिकट मिलने व संगठन का सहयोग मिलने वाला ऐसा कोई सीन तो है या नहीं। इसलिए उन्होंने अपने स्तर पर प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है।
इन दिनों घर-घर जाकर जनसंपर्क किया जा रहा है। फरवरी से बैनर पोस्टर और गाड़ियों के माध्यम से प्रचार प्रसार किया जाएगा। बड़ी बात तो यह है कि निर्दलीय महापौर की जगह पार्षद पद से लड़ने में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं।
मेयर के दिग्गज दावेदार भी उतरेंगे निर्दलीय
शहर में अपनी ग्राउंड तैयार करने वाले दिग्गजों की माने तो निर्दलीय वे मैदान में उतर सकते हैं। क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी से टिकट दो ही प्रत्याशियों को मिलने वाला है। वहीं, दावेदार 25 से ऊपर हैं। ऐसे में कुछ दिग्गजों का कहना है कि हमें टिकट मिलना तो शत-प्रतशित तय है।
मगर, यदि कहीं गुणा गणित बिगड़ा तो वे निर्दलीय मैदान पर उतरेंगे। उनका कहना है कि पार्टी के लिए उन्होंने पांच साल तक काम किया है। उन्हें फिर अगला मौका पांच साल के बाद ही मिलेगा। इसलिए अपनी किस्मत आजमाने से वे पीछे नहीं हटेंगे।