फिल्मों वाला प्यार हकीकत में; ओडिशा के प्रदुम्न को विदेशी शार्लोट से हुआ प्यार, साइकिल से तय कर लिया भारत से स्वीडन तक का सफ़र... Featured

बोलता गांव डेस्क।। 

कहते हैं प्यार में कोई सीमा नहीं होती. प्यार देखकर नहीं होता और सच्चा प्यार करने वाले मिलने का कोई न कोई तरीका ढूंढ ही लेते हैं. प्यार रंग, रूप, जात, ऊंच और नीच से परे होता है क्योंकि ये सच्चा होता है और आत्मा से जुड़ा होता है.

 

कुछ ऐसा ही इस लव स्टोरी में भी हुआ, जहां एक भारतीय कलाकार को विदेशी मोहतरमा से कुछ ऐसा प्यार हुआ कि वो साइकिल चलाकर उससे मिलने स्वीडन तक चले गए. आज इस लव स्टोरी के बारे में जानते हैं-

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स्केच बनवाते हुए दोनों को हुआ प्यार

70 के दशक में मशहूर स्केच आर्टिस्ट हैं Pradyumna Kumar Mahanandia. उनके बारे में कहा जाता है कि वह महज़ 10 मिनट में स्केच बनाने में काबिल थे. वो लोकल प्रेस में काफ़ी पॉपुलर भी थे. ओडिशा के रहने वाले प्रदुम्न एक दलित परिवार से थे. अब हुआ ये कि उनकी मुलाकात हुई एक यूरोप की टूरिस्ट से. प्रद्युम्न को उनसे ऐसा प्यार हो गया कि उनके लिए वो भारत से यूरोप निकल पड़े, वो भी साइकिल में.

 

स्वीडन की रहने वाली Charlotte Von Schedvin भारत घूमने आईं थीं और उनकी मुलाकात प्रदुम्न दिल्ली के कनॉट प्लेस में हुई. प्रदुम्न के दस मिनट में स्केच बनाने के दावे की वजह से उन्होंने अपना स्केच बनवाया लेकिन उन्हें यह स्केच पसंद नहीं आया. Charlotte ने फ़ैसला किया कि वह अगले दिन फिर स्केच बनवाने आएंगी, लेकिन अगले दिन भी कुछ खास रिज़ल्ट नहीं आए. 

 

मां की भविष्यवाणी से शुरू हुआ प्यार का नग़मा

Pradyumn ने उनसे कहा कि वह अपनी मां की कई साल पहले की हुई भविष्यवाणी की वजह से अपना बेस्ट नहीं दे पाए. Charlotte को बताते हुए उन्होंने कहा कि उनकी मां ने कहा था कि वह एक ऐसी महिला से शादी करेंगे जिसकी राशि वृषभ होगी और वह बहुत दूर से आने के साथ ही संगीत से जुड़ी होगी. साथ ही वह महिला जंगल की मालकिन भी होगी. 

 

ये बताते ही महानंदिया ने तपाक से शार्लेट से पूछा कि वह किसी जंगल की मालकिन हैं क्या? Charlotte ने जवाब हां में दिया. प्रदुम्न ने कहा कि ये Criteria उनकी मां की भविष्यवाणी से मैच हो रहे हैं. बस यहीं से प्यार की शुरुआत हो चुकी थी!प्रदुम्न ने उनसे चाय के लिए पूछा. उन्हें लगा कि कहीं Charlotte पुलिस से कंप्लेन्ट न कर दें, लेकिन Charlotte ने हां कर दी.

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Charlotte ने प्रदुम्न के पिता से साड़ी पहनकर की पहली मुलाकात

दोनों की कई मुलाक़ात के बाद प्रदुम्न ने Charlotte को ओडिशा आने के लिए राज़ी कर लिया. प्रदुम्न ने बीबीसी को एक इंटरव्यू में बताया था कि Sharlotte ने उनके पिता से पहली बार साड़ी में मुलाकात की और इसके बाद उन्होंने आदिवासी रीति-रिवाज़ से शादी कर ली. लेकिन, Charlotte का वीज़ा ख़त्म होने की वजह से उन्हें वापस लौटना पड़ा और इस तरह शादी के बाद दोनों करीब एक साल तक लेटर्स के जरिए एक-दूसरे से जुड़े रहे. 

 

प्रदुम्न महानंदिया के पास इतने पैसे नहीं थे कि वो तुरंत प्लेन से उड़कर स्वीडन चले जाएं. लिहाज़ा, उन्होंने अपना सब कुछ बेचकर एक साइकिल ख़रीदी और निकल पड़े अपने प्यार से मिलने. 

 

प्यार से मिलने के लिए हर दिन 70 km का रास्ता करते थे तय

महानंदिया ने अपना ये सफ़र 22 जनवरी, 1977 को शुरू किया था. वह हर दिन 70 किलोमीटर का रास्ता तय करते थे. अपने सफ़र के दौरान वह लोगों की तस्वीरें बनाते और इस तरह उन्हें कुछ पैसे मिल जाया करते थे. कुछ लोग उन्हें खाना और रहने की जगह भी दे दिया करते थे. महानंदिया ने कहा कि 70 के दशक में दुनिया काफ़ी अलग थी, क्योंकि इस दौरान ज्यादातर देशों में वीज़ा की कोई ज़रूरत नहीं होती थी. 

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बीबीसी को दिए अपने इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि इस सफ़र के दौरान उनके पैरों में हमेशा बहुत दर्द रहता था, लेकिन Charlotte से मिलने की ख़ुशी में वह सब भूल जाते थे. 

 

साइकिल से ईरान, तुर्की, अफ़ग़ानिस्तान, बुल्गारिया, जर्मनी और ऑस्ट्रिया आदि देशों का सफर करने के बाद प्रदुम्न स्वीडन की सीमा पर पहुंचे, लेकिन इमीग्रेशन वीज़ा ना होने के चलते उन्हें बॉर्डर पर ही रोक दिया गया. जिसके बाद उन्होंने Charlotte से अपने रिश्ते के बारे में बताया. अधिकारियों को इस बात का विश्वास नहीं हो पा रहा था. उन्होंने जब Charlotte से संपर्क किया तो महानंदिया के सच बोलने की बात पता चली.

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...और महानंदिया को मिल गईं उनकी पत्नी

Pradyumna को Charlotte के पिता को इम्प्रेस करने में भी काफ़ी समस्याओं का सामना करना पड़ा. लेकिन काफ़ी जद्दोजहद के बाद Charlotte के पिता मन गए और दोनों ने एक बार फिर स्विस तरीके से शादी की. 

 

तब से लेकर अब तक यह कपल स्वीडन में ही रह रहा है. महानंदिया ने स्वीडिश नागरिकता ले ली है. उनके और Charlotte के दो बच्चे हैं. 

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महानंदिया ने अपना प्यार पाने के लिए इतना लंबा सफर तय किया. इस बारे में वह अभी भी कहते हैं कि “जो मुझे करना चाहिए था, वो मैंने किया. मेरे पास पैसे नहीं थे लेकिन मुझे उससे मिलना था. मैंने अपने प्यार के लिए साइकिलिंग की जबकि साइकिलिंग से कभी प्यार नहीं किया. सिंपल.”

 

महानंदिया कहते हैं कि वह आज भी Charlotte से उतना ही प्यार करते हैं जितना कि 1975 में किया करते थे.

 

इस कहानी से जो उभर कर आता है, वह है अहसास. एक ऐसा अहसास, जिसे सिर्फ़ प्रदुम्न ने महसूस किया और उन्हें इतनी ताकत मिली कि वह साइकिल से अपने प्यार से मिलने के लिए निकल पड़े.

 

 

 

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