मिलिए CCD की CEO मालविका हेगड़े से, युवाओं को कॉफी का चस्का लगाकर 8 हजार करोड़ की कंपनी बनी...पति की मौत का सदमा और 7000 करोड़ के कर्ज में डूबी कंपनी को मजबूत इरादे से ले लेकर आई अच्छे दिन Featured

बोलता गांव डेस्क।। 'बिजनेसमैन रिटायर नहीं होते, बल्कि वो मरते हैं।' ये बात 2016 में आउटलुक से बात करते हुए कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के मालिक वीजी सिद्धार्थ ने कही थी।

 

यह वो वक्त था, जब सीसीडी अपनी सफलता के शीर्ष पर पहुंचने के बाद नीचे की ओर गोते लगाने लगा था। किसे पता था कि इस इंटरव्यू के ठीक 3 साल बाद सीसीडी नाम के पॉपुलर ब्रांड के मालिक वीजी सिद्धार्थ नदी में कूदकर जान दे देंगे। सिद्धार्थ की मौत के बाद सबको लगा कि अब सीसीडी की कहानी खत्म हो गई, लेकिन सिद्धार्थ की पत्नी मालविका ने हार नहीं मानी और सीसीडी को नए सिरे से शुरू किया।

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आज हम ब्रांड स्टोरी में जानेंगे कि कैसे वीजी सिद्धार्थ 8 हजार करोड़ की सीसीडी कंपनी के मालिक बन गए? सिद्धार्थ ने सीसीडी की शुरुआत से लेकर शीर्ष तक पहुंचने में किन-किन उतार चढ़ाव का सामना किया? सिद्धार्थ ऐसी किस समस्या में फंसे कि उन्हें आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा? अब पत्नी मालविका हेगड़े कैसे डूब रही सीसीडी कंपनी को बचा रही हैं?

 

कहानी की शुरुआत

 

कर्नाटक का चिकमंगलूर वेस्ट घाट में बसा है। यहां हिल स्टेशन भी है। यहीं रहने वाले गंगैया हेगड़े कॉफी बागान के मालिक थे। 1956 में गंगैया को एक बेटा हुआ, जिसका नाम रखा वीजी सिद्धार्थ।

 

सिद्धार्थ मंगलुरु यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में मास्टर्स की पढ़ाई करने के बाद बिजनेस करना चाहते थे। जबकि पिता चाहते थे, वह कोई नौकरी करे। जिद करने पर पिता ने 5-7 लाख रुपए भी बिजनेस करने के लिए दिया। इस पैसे से सिद्धार्थ ने एक प्लॉट खरीद लिया।

 

1983 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) से जुड़ी कंपनी में दो साल तक काम किया। नौकरी में मन नहीं लगा तो सिद्धार्थ नौकरी छोड़कर मुंबई से बेंगलुरु आ गए। यहां ‘सिवान सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की एक कंपनी चलाने लगे। इस कंपनी से होने वाले मुनाफों से सिद्धार्थ ने कई कॉफी बागान खरीद लिए। 1992 तक करीब तीन हजार एकड़ में फैले कॉफी बागान सिद्धार्थ ने खरीद लिए थे।

1992 में शुरू की 'कॉफी डे ग्लोबल लिमिटेड' कंपनी

 

1992 में हर्षद मेहता स्टॉक घोटाला सामने आने के कुछ दिनों पहले ही वीजी सिद्धार्थ ने अपना सारा पैसा स्टॉक से निकाल लिया था। घोटाला सामने आने के बाद अच्छे-अच्छे कारोबारी पिट गए थे। स्टॉक से कमाए पैसे से सिद्धार्थ ने कॉफी के ही बिजनेस को आगे बढ़ाने का फैसला किया। इसके बाद 'कॉफी डे ग्लोबल लिमिटेड' नाम से एक कंपनी शुरू की। अभी सिद्धार्थ अपने कॉफी के बिजनेस को और आगे ले जाना चाहते थे। इस बिजनेस में उनकी दिलचस्पी होने की बड़ी वजह विरासत में मिला यह काम और खुद का कॉफी उत्पादक होना था।

वीजी सिद्धार्थ के सुसाइड करने की क्या वजह है?

 

वीजी सिद्धार्थ की समस्या 2017 में तब बढ़ गई, जब इनकम टैक्ट डिपार्टमेंट ने 700 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी के आरोप में जांच शुरू की। इसके अलावा, शेयर मार्केट में भी सिद्धार्थ की कंपनी कुछ ज्यादा प्रॉफिट नहीं कमा पा रही थी। तमाम तरह के बिजनेस को बढ़ाने के लिए सिद्धार्थ ने काफी ज्यादा कर्ज ले लिए थे। 2019 में वीजी सिद्धार्थ की कंपनी 6550 करोड़ रुपए के कर्ज में चली गई थी। इस कर्ज को तोड़ने के लिए माइंडट्री नाम की आईटी कंपनी के 20% शेयर सिद्धार्थ ने बेच दिए। इससे करीब 3200 करोड़ रुपए का कर्ज वीजी सिद्धार्थ ने खत्म किया। इसके बाद भी 3300 करोड़ का कर्ज बाकी था। इसी कर्ज की वजह से वीजी सिद्धार्थ ने जुलाई 2019 में नेत्रावदी नदी में कूद कर अपनी जान दे दी।

 

मालविका ने कर्ज चुकाया और अब कंपनी का शेयर भी सुधरा

 

कर्ज किसी भी कंपनी के प्रोग्रेस में सबसे बड़ा बाधा होती है। ऐसे में मालविका के सामने कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए इस कर्ज को उतारना आसान नहीं था। मालविका हेगड़े की मेहनत और लगन से कंपनी पर अब 2000 करोड़ रुपए का कर्ज ही रह गया है। हाल ही में कंपनी के शेयर में 50 फीसदी का इजाफा भी दर्ज किया गया है। जिसे कंपनी के रिवाइवल के तौर पर देखा जा रहा है।

पूर्व सीएम एसएम कृष्णा की बेटी हैं मालविका हेगड़े

 

वीजी सिद्धार्थ की मौत के बाद मालविका हेगड़े मीडिया की निगाहों में आईं, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि वो कर्नाटक के सीएम रहे चुके एसएम कृष्णा की बेटी भी हैं। उनकी मां प्रेरणा कृष्णा कर्नाटक की जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता रह चुकी हैं। साल 1969 में जन्मी मालविका कृष्णा हेगडे़ ने बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की है। साल 1991 में उन्होंने वीजी सिद्धार्थ से शादी की थी। सीसीडी के बिजनेस में आने से पहले ही दोनों की शादी हो गई थी।

 

कोरोना में उबरने की कोशिश कर रही कंपनी

 

माना जा रहा है कि कंपनी का कर्ज चुकाने में कोरोना महामारी ने भी बड़ी और अहम भूमिका निभाई है। दरअसल, कोरोना काल में सीसीडी कई कंपनियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब रही है। मालविका हेगड़े के नेतृत्व में सीसीडी ने इन्वेस्टर्स को यकीन दिलाया है। इसी का परिणाम है कि अब इन्वेस्टर्स कंपनी में एक बार फिर से इन्वेस्टमेंट करने लगे हैं। अमेरिकी कंपनी ब्लैकस्टोन और श्री राम क्रेडिट कंपनी के साथ मालविका ने सीसीडी और वे टू वैल्थ सिक्योरिटीज कंपनी का बिजनेस एग्रीमेंट किया है। उम्मीद है कि कंपनी मालविका के नेतृत्व में जल्द ही एक बार फिर पहले की तरह ऊंचाई को छुएगी।

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