धान के बदले उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देकर प्रगतिशील किसान ऐनेश्वर वर्मा ने लिखी सफलता की नई इबारत Featured

बोलता गांव डेस्क।।

राजनांदगांव: शासन की किसान हितैषी योजनाओं का किसानों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है। किसानों ने आर्थिक समृद्धि और खुशहाली की दिशा में कदम बढ़ाये हैं। धान के बदले उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देकर डोंगरगढ़ विकासखंड के ग्राम पारागांव खुर्द के प्रगतिशील किसान श्री ऐनेश्वर वर्मा ने सफलता की नई इबारत लिखी है। किसान ऐनेश्वर वर्मा छत्तीसगढ़ शासन के डॉ. खूबचंद बघेल सम्मान से सम्मानित किये गए हैं। उनके खेतों में कतार में लगे हुए वृक्ष की शाखाएं आम, अमरूद, पपीता से भरपूर हैं। उन्होंने अपने खेतों में विभिन्न तरह के नवाचार किये हैं एवं खेती-किसानी की आधुनिक पद्धति को अपनाया है। किसान श्री ऐनेश्वर वर्मा ने कहा कि शासन की किसान हितैषी योजनाएं बेहतरीन हैं।

 

 

गोधन न्याय योजना, नरवा-घुरवा-गरवा-बाड़ी योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना एवं अन्य योजनाओं से किसानों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है। उन्होंने खेती-किसानी को बढ़ावा देने के लिए शासन को धन्यवाद दिया। वे कहते हैं कि शासन की योजनाओं से प्रोत्साहित एवं प्रेरित होकर युवाओं का रूझान खेती-किसानी में बढ़ा है। उन्होंने बताया कि वे 42-43 एकड़ में खेती कर रहे हैं और लगभग 6 एकड़ में उद्यानिकी फसल लगाई है, जो आमदनी का बड़ा जरिया है।

 

 

राज्य पोषित उद्यानिकी विभाग की फल पौधरोपण हेतु अनुदान योजना के तहत आम, अमरूद, नीबू तथा चीकू लगाये हैं। जिससे अच्छी आमदनी हो रही है। उद्यानिकी फसलों से लगभग 3 लाख वार्षिक आमदनी हो रही है। वे मिनी स्पिं्रकलर से सिंचाई कर रहे हैं। उन्होंने अपने खेतों में मल्लिका, आम्रपाली, लंगड़ा, दशहरी एवं बाम्बेग्रीन वेरायटी लगाई है। वहीं काजू फल रहे और सीडलेस नीबू का उत्पादन बहुतायत हो रहा है। नारियल के 300 पौधे लगाए हैं।

 

राष्ट्रीय बागवानी मिशन के केला विस्तार योजना के तहत 4 एकड़ में पपीता का रेड लेडी वेरायटी लगाये हैं। राज्य पोषित सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत खेतों में ड्रिप इरिगेशन लगाये हैं। अमरूद के जी-11 वेरायटी के 250 पौधे तथा ड्रेगन फ्रूट, बनारसी बेर वेरायटी, एप्पल बेर भी लगाये हैं। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत 2 हेक्टेयर में संरक्षित खेती के लिए अनुदान मिला है। जिसमें गंवारफल्ली, बरबट्टी, कुंदरू की फसल ले रहे हैं।

 

 

किसान वर्मा ने बताया कि वे अपने खेतों में वर्मी कम्पोस्ट बना रहे हैं। वर्मी कम्पोस्ट शेड में गोबर एवं सूखी पत्तियों से अच्छी गुणवत्ता का जैविक खाद तैयार कर रहे हैं। उन्होंने शासन के गोधन न्याय योजना की प्रशंसा करते हुए कहा कि जैविक खेती से बहुत फायदा है। शासन की योजना के तहत तालाब खुदवाये हैं। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत जैविक खेती के लिए उन्होंने पक्का वर्मी कम्पोस्टिंग यूनिट लगाए हैं। जिसकी लागत 1 लाख रूपए है और शासन से उन्हें 50 हजार रूपए का अनुदान मिला है। उन्होंने बताया कि वे उदयपुर से रॉक फास्फेट लाये हैं। जिसमें 60 प्रतिशत गोबर, 40 प्रतिशत रॉक फास्केट मिलाकर एडवांस वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर रहे हैं, जो रीच आर्गेनिक कम्पोस्ट है। उन्होंने खेती बाड़ी के लिए मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत माली का प्रशिक्षण लिया है। घर में क्रेडा के तहत बायो गैस लगाये हैं। फसल के बाद उत्पादन का घर में ही प्रोसेसिंग भी कर रहे हैं।

 

 

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