बोलता गांव डेस्क।। हमारा देश और प्रदेश कृषि प्रधान है। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। व्यापार और उद्योग की अर्थव्यवस्था भी कहीं-न-कहीं किसानों से जुड़ी होती है। उद्योग का पहिया तब घूमेगा जब व्यापारी उनसे सामान खरीदेंगे और व्यापारी का सामान तब बिकेगा जब जनता की जेब में पैसा होगा। अर्थव्यवस्था बचाने के लिए जनता की जेब में पैसा डालना होगा। यह बातें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ‘हरिभूमि’ मीडिया समूह के आयोजन “किसानों की बात, उद्यमियों के साथ” के मंच से कहीं।
कार्यक्रम में उद्बोधन के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सबसे पहले किसान आंदोलन के दरम्यान शहीद हुए 703 किसानों की आत्मा की शांति के लिए मौन धारण कराया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि देश में अनाज की कमी को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी ने चुनौती के तौर पर लिया और देश के किसानों से आह्वान किया कि हमें अनाज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनना होगा। इसके बाद ही देश में हरित क्रांति आयी। ये वही दौर था जब 1967 में एमएसपी घोषित हुआ।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हमने सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ में धान, कोदो, कुटकी, गन्ना, मक्का सबके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी के साथ उचित कीमत देना शुरू किया। छत्तीसगढ़ कोदो, कुटकी को समर्थन मूल्य में खरीदने वाला देश का पहला राज्य है। यहां तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर से इसकी खरीदी की जा रही है। वहीं हमने छत्तीसगढ़ में धान, कोदो, कुटकी, गन्ना, मक्का के साथ ही वनोपजों की खरीदी भी शुरू की, जिसमें 7 से बढ़ाकर 52 प्रकार के लघु वनोपजों को शामिल किया। इसके अलावा हमने वनोपजों का वैल्यू एडिशन भी किया। आज महुआ लड्डू, एनर्जी बार, बस्तर काजू पूरे देश में लोकप्रिय हो रहा है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि केन्द्र सरकार से एक फरमान जारी हुआ, जिसमें कहा गया कि कोई भी राज्य सरकार फसल की खरीदी पर किसानों को बोनस देगी तो उसे केन्द्रीय पुल में नहीं लिया जाएगा, लेकिन फिर दो साल की छूट मिली। उसी छूट में हमने किसानों को बोनस मिलाकर धान खरीदी में प्रति क्विंटल 2500 रुपए दे दिया। केन्द्र सरकार ने बोनस देने पर आपत्ति की और राज्य का चावल लेने से मना कर दिया। केंद्र सरकार की आपत्ति के बाद अब हम किसानों को 10 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से इनपुट सब्सिडी दे रहे हैं। मुख्यमंत्री केन्द्र द्वारा उसना क्वॉलिटी का धान लेने से इंकार करने पर राज्य के किसानों से अरवा क्वॉलिटी के धान उत्पादन की अपील की।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि कृषि उत्पादन का बढ़ना किसी देश और प्रदेश के लिए ताकत होनी चाहिए, समस्या नहीं। हम प्रदेश के अतिरिक्त धान से एथेनॉल ईंधन बनाना चाहते हैं, लेकिन केन्द्र से इसकी अनुमति ही नहीं मिल रही है। गन्ना और मक्का से एथेनॉल बनाने के लिए 12 औद्योगिक घरानों से एमओयू भी हो चुका है और उन्हें जमीन भी दे दी गई है। राज्य में कृषि के साथ उद्योग को भी बढ़ावा देने पर मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हमने उद्योगपतियों से चर्चा के बाद 2019-24 की औद्योगिक नीति बनाई। अब तक 150 एमओयू हो चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के बाद सबसे पहले उद्योगों का पहिया घूमा है तो वो छत्तीसगढ़ में घूमा है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान व्यापारिक गतिविधियों के संचालन के लिए समय-समय पर व्यापारियों से भी चर्चा की गई और उन्हें आवश्यक राहत पहुंचाई गई।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हम किसानों का हित करना चाहते हैं लेकिन किसानों के नाम से किसी को बेजा फायदा उठाने नहीं दिया जाएगा। साथ ही डीएपी की कमी पर मुख्यमंत्री ने किसानों, पशुपालकों व ग्रामीणों से गोबर से वर्मी कम्पोस्ट अधिक-से-अधिक बनाने की अपील की। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए सभी प्रकार की चर्चा में शामिल होना चाहिए। लोगों को सुनना चाहिए। असहमति के बावजूद भी उनका सम्मान करना चाहिए। जब सब साथ बैठेंगे तभी किसी समस्या का समाधान निकलेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर आज यहां शुरू हुई चर्चा सही दिशा में आगे बढ़ेगी और निष्कर्ष तक पहुंचेगी।
कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि देश में सबसे ज्यादा कीमत पर धान खरीदी हम कर रहे हैं। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से किसानों और गोधन न्याय योजना के माध्यम से पशुपालकों को आर्थिक लाभ पहुंचाया जा रहा है। भूमिहीन कृषि मजदूरों को भी राहत देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार नई योजना लेकर आ रही है। कृषि मंत्री श्री चौबे ने कहा कि कोरोना काल में जहां देश और दुनियाभर में मंदी की स्थिति थी, हमारी सरकार ने राज्य में राजीव गांधी किसान न्याय योजना का लाभ किसानों को दिया। किसानों को हमने समृद्ध किया तो व्यापारी वर्ग पर भी मंदी का असर नहीं हुआ। श्री चौबे ने कहा कि कृषि मंत्री होने के नाते मैं आज अपना सौभाग्य समझता हूं कि आज पूरे देश में छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा हो रही है।