छत्तीसगढ़ के छत्तीस माह: लौट रहा गौरव और आत्म सम्मान, देश में बढ़ रही छत्तीसगढ़ की पहचान! Featured

बोलता गांव डेस्क।। यह समय का पहिया, कब और कैसे आगे बढ़ जाता है, पता ही नहीं चलता। तीन साल हो गए। हमारी छत्तीसगढ़ सरकार के कार्यकाल को। पता ही नहीं चला। कोरोना की वजह से दहशत और लॉकडाउन में अनेक चुनौतियां आई। जिस तरह से समय का पहिया आगे बढ़ता गया, ठीक वैसे ही छत्तीसगढ़ में विकास का पहिया चुनौतियों के बीच कभी थमा नहीं। प्रत्येक मुश्किलों और बाधाओं में भी छत्तीसगढ़ की सरकार जनता के लिये, जनता के साथ खड़ी रही। अपनी योजनाओं और योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन से सम्मान हासिल करने के साथ छत्तीसगढ़ देश में अपनी एक अलग पहचान भी बनाता जा रहा है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में सरकार बनते ही छत्तीसगढ़ में राहतों का सिलसिला प्रारंभ हुआ। किसान जो हमारे प्रदेश की शान हैं, उनके हित में फैसले लिये गए।  वर्षों से लंबित 17 लाख 82 हजार किसानों का 8 हजार 755 करोड़ रू. का कृषि ऋण, 244 करोड़ रू. का सिंचाई कर माफ किया।

बस्तर के लोहंडीगुड़ा में 1700 से अधिक आदिवासी किसानों की 4200 एकड़ जमीन वापिस कर दी। तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक 2500 रू. प्रति मानक बोरा से बढ़ा कर 4000 रू. प्रति मानक बोरा कर दिया। बिजली बिल हाफ करने के साथ ही 19.78 लाख गरीब परिवारों को 30 यूनिट तक निःशुल्क बिजली की सुविधा से लाभान्वित किया गया।

महात्मा गांधी के 150वीं जयंती पर प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण योजना, मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना, मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना, छत्तीसगढ़ सर्वभौम पीडीएस की शुरूआत की गई। गरीबी की वजह से बीमारी का इलाज नही करा पाने वाले लोगों को जहां सरल व सहज स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराई, वहीं महिलाओं, किशोरियों को पोषण आहार, जरूरतमंद सभी गरीब परिवारों को पीडीएस के माध्यम से खाद्यान्न उपलब्ध कराने की नई पहल की।

मुख्यमंत्री ने डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना लागू कर प्रदेश के 56 लाख परिवारों को 5 लाख रुपए तक का उपचार, 9 लाख परिवारों को 50 हजार रुपए तक इलाज की सुविधा दी। मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत 20 लाख रुपये तक उपचार की सुविधा देने वाला छत्तीसगढ़ पहला राज्य भी बन गया।

कोरोना में लॉकडाउन के दौरान भी प्रदेश के मुख्यमंत्री गरीबों के मसीहा बने। उन्होंने संकटकाल में राशन कार्डधारियों सहित प्रवासी मजदूर परिवारों के लिए खाद्यान्न की व्यवस्था कराई। जरूरतमंदों को निःशुल्क खाद्यान्न देने के निर्देश दिए। आंगनबाड़ी, स्कूल से जुड़े बच्चों को सूखा अनाज घर-घर तक देने का काम किया। मनरेगा के तहत काम और समय पर मजदूरी भुगतान, लघु वनोपज संग्रह के लिए पारिश्रमिक और समर्थन मूल्य देने में भी छत्तीसगढ़ अव्वल रहा है।

कुपोषण को छत्तीसगढ़ से दूर भगाता और स्वच्छतम राज्य बनने के साथ गरीबों की योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन में अग्रणी हमारा छत्तीसगढ़ विकास के पथ पर निरन्तर आगे बढ़ रहा है। 

जिस तरह देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित श्री जवाहरलाल नेहरू गुलाम भारत को आजाद कराना चाहते थे और आजादी के बाद स्वतंत्र भारत में गरीब आदमी की सभी क्षेत्रों में भागीदारी चाहते थे, ताकि उसका खोया हुआ आत्म सम्मान और गौरव वापस आ सकें। जिस तरह संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर सबके लिये न्याय की बात करते थे। प्रदेश के मुखिया भी शायद यह बात भलीभांति जानते हैं कि गरीबी से जकड़े और वर्षों से आत्म सम्मान तथा गौरव के लिये तरसते छत्तीसगढ़ियों का स्वाभिमान कैसे वापस लाये, उन्हें न्याय कैसे दे? 

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Last modified on Thursday, 16 December 2021 17:44

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