बोलता गांव डेस्क।। आधुनिक पवनचक्कियां 25 साल पहले की तुलना में 20 गुना ज्यादा बिजली पैदा कर सकती हैं, वे और ऊंची और बड़ी हो गई हैं और उनके ब्लेड भी लंबे हैं. इन्वेस्टमेंट बैंक लजार्ड के मुताबिक नये संयंत्रों से पवन ऊर्जा उत्पादन में आज 2009 के मुकाबले 72 फीसदी कम लागत आती है| इसीलिए उसे धरती के सबसे सस्ते ऊर्जा स्रोतों में से एक माना जाता है| जर्मनी स्थित शोध संगठन, सौर ऊर्जा प्रणालियों के फ्राउनहोफर संस्थान के एक अध्ययन के मुताबिक तेज हवा वाले तटीय इलाकों की बिजली के लिए प्रति किलोवॉट घंटा 0.04 से 0.05 यूरो (0.05 से 0.06 डॉलर) की लागत आती है| जहां हवा कमजोर होती है उन इलाकों में उसकी लागत प्रति किलोवॉट घंटा 0.06-0.08 यूरो आती है. समंदर में लगे संयंत्रों में प्रति किलोवॉट प्रति घंटा की कीमत करीब 0.1 यूरो बैठती है क्योंकि वहां उन्हें लगाने और रखरखाव में ज्यादा लागत आती है|
तुलनात्मक लिहाज से देखें तो सौर ऊर्जा की कीमतों में भी बड़ी गिरावट आई है-
2009 से करीब 90 फीसदी- सौर ऊर्जा से मिलने वाली बिजली के उत्पादन में प्रति किलोवॉट घंटा 0.02-0.06 यूरो की लागत आती है| लेकिन दूसरे ऊर्जा स्रोतो के नये संयंत्र फिर भी और महंगे हैं| फॉसिल गैस से मिलने वाली प्रति किलोवॉट घंटा बिजली की कीमत करीब 0.11 यूरो आती है, कोयले से 0.16 यूरो और एटमी ऊजा से 0.14-0.19 यूरो. ऊर्जा से जुड़े शोधकर्ताओं का मानना है कि प्रौद्योगिकी के विकास के साथ, पवन और सौर ऊर्जा 2030 तक 20 से 50 फीसदी सस्ती हो जाएगी|
जलवायु निरपेक्षता के लिए कितनी पवन ऊर्जा चाहिए?
जानकार कहते हैं कि भविष्य में पवन और सौर ऊर्जा कुल वैश्विक ऊर्जा मांग का 95 फीसदी से ज्यादा कवर कर सकती हैं| लेकिन अलग अलग इलाकों में अलग अलग संयोजन काम करते हैं| फिनलैंड की एलयूटी यूनिवर्सिटी में सोलर इकोनॉमी के प्रोफेसर क्रिस्टियान ब्रायर कहते हैं कि इसमें जलबिजली, बैटरियां, हाइड्रोजन और सिंथेटिक ईंधन बनाने वाले इलेक्ट्रोलाइजरों के अलावा और भी भंडारण और रूपांतरण प्रौद्योगिकियां शामिल हो सकती हैं| एनर्जी नाम के जर्नल में प्रकाशित उनकी टीम के अध्ययन ने पाया कि 76 फीसदी वैश्विक बिजली उत्पादन अगर सौर ऊर्जा से हो और 20 फीसदी पवन ऊर्जा से तो ये सबसे सस्ता पड़ेगा|
कम या हल्की धूप वाले इलाकों में पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी ज्यादा हो जाएगी
जैसे रूस के उत्तरी हिस्सों में 90 फीसदी से ज्यादा, अमेरिका के मध्य पश्चिम में 81 फीसदी, उत्तरी चीन में करीब 72 फीसदी और मध्य और उत्तरी यूरोप के देशों जैसे पोलैंड, द नीदरलैंड्स, ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस में करीब 50 फीसदी पवन ऊर्जा चाहिए होगी| जर्मनी में पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी 31 फीसदी की होगी| इन इलाकों में जहां धूप की चमक फीकी होती है और सर्दियों में बादल रहते हैं, वहां पवन ऊर्जा एक ज्यादा सस्ता विकल्प है. ब्रायर कहते हैं, "यूरोप में पवन ऊर्जा इसीलिए बिजली आपूर्ति की एक पुख्ता केंद्रीय स्तंभ है| अगर यूरोप में हमारे पास जब विशेष रूप से खिली हुई धूप भरे दिन नही होते हैं तो आमतौर पर तेज हवाओं वाले दिन रहते हैं, तो ये सब मिलकर बढ़िया काम करता है|"