रायपुर. छत्तीसगढ़ एक्सटेन्डेड प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (ePMSMA) को लागू करने में देश में दूसरे स्थान पर है। केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने आज नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय मातृत्व स्वास्थ्य कार्यशाला में प्रदेश को इस उपलब्धि के लिए सम्मानित किया। राज्य में चालू वित्तीय वर्ष के दौरान अप्रैल माह से नवम्बर माह के बीच एक लाख 48 हजार 851 गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच की गई है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत प्रदेश में हर माह की 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं की एएनसी जांच की जाती है। एक्सटेन्डेड प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत अब हर महीने 9 तारीख के साथ ही 24 तारीख को भी एएनसी जांच की जा रही है।
पोस्टर के माध्यम से हाई रिस्क प्रेगनेंसी की जल्द से जल्द पहचान कर उपचार किया जा रहा
राष्ट्रीय मातृत्व स्वास्थ्य कार्यशाला में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व कर रहे मातृत्व स्वास्थ्य कार्यक्रम की संयुक्त संचालक डॉ. अल्का गुप्ता, रायपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश चौधरी, राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शैलेंद्र अग्रवाल और राज्य सलाहकार सुश्री अभिलाषा शर्मा ने प्रदेश की ओर से नई दिल्ली में यह पुरस्कार ग्रहण किया। मातृत्व स्वास्थ्य कार्यक्रम के राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शैलेंद्र अग्रवाल ने बताया कि कार्यशाला में छत्तीसगढ़ की टीम द्वारा हाई रिस्क प्रेगनेंसी ट्रैकिंग गाइडलाइन पर पोस्टर प्रस्तुत किया गया। पोस्टर के माध्यम से हाई रिस्क प्रेगनेंसी की जल्द से जल्द पहचान कर उपचार कैसे की जा रही है, यह बताया गया है।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान’ (Pradhan Mantri Surakshit Matritva Abhiyan)
- यह भारत सरकार के ‘केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय’ (MoH&FW) द्वारा प्रारंभ की गई एक योजना है, जिसके तहत ‘प्रत्येक माह की 9 तारीख’ को सभी गर्भवती महिलाओं को सार्वभौमिक तौर पर सुनिश्चित, व्यापक एवं उच्च गुणवत्ता युक्त प्रसव-पूर्व देखभाल प्रदान कराए जाने का प्रावधान है।
- इसी वज़ह से इसे ‘I Pledge for 9 Scheme’ के नाम से भी जाना जाता है।
- इस योजना के तहत ‘RMNCH +A (Reproductive Maternal Neonatal child and Adolescent Health) रणनीति’ के एक भाग के रूप में प्रसव-पूर्व देखभाल (Antenatal Care- ANC) सहित निदान एवं परामर्श सेवाओं की गुणवत्ता एवं व्यापकता में सुधार को लक्षित किया गया है।
- इसमें ‘सिंगल विंडो प्रणाली’ के माध्यम से सभी गर्भवती महिलाओं को (गर्भावस्था की दूसरी एवं तीसरी तिमाही में, जिसे डॉक्टर द्वारा सत्यापित किया जाएगा) अल्ट्रासाउंड सहित अन्य दवाइयाँ व सप्लीमेंट्स आदि प्रदान करने की व्यवस्था की गई है।
-इसके तहत उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान कर उन्हें ‘लाल स्टीकर’ तथा सामान्य गर्भावस्था वाली महिलाओं को ‘हरे रंग का स्टीकर’ प्रदान किया जाएगा तथा आवश्यकतानुसार इन्हें फॉलो-अप की सुविधा प्रदान कराई जाएगी।