छत्तीसगढ़ के बालोद जिला से लगे गांव हीरापुर में बिहान से जुड़ी समूह की महिलाएं हस्तशिल्प कला को प्रोत्साहित करने पैरा से आकर्षक कलाकृति बना बना रही है. महिलाएं विभिन्न तरह की कलाकृति बनाकर कर सीमार्ट के जरिये इसका विक्रय कर रही हैं . साथ ही अब इसकी डिमांड अन्य जिलों से भी आने लगी है पैराआर्ट से अब जीवन में उन्हें आय का एक माध्यम मिल गया हैं. पैराआर्ट से उन्हें अब नई पहचान मिली है. महिलाएं सोशल मीडीया और यूट्यूब के जरिये साथ ही उसके बाद प्रशिक्षण प्राप्त कर पैरा से आकर्षक कलाकृति बनाना सीखा है. समूह की महिलाएं की माने तो घर के चूल्हे चौकों से निकल अपनी एक नई पहचान बना उन्हें काफी खुशी मिल रही है....
https://www.youtube.com/watch?v=PHGtisSAxZU
अमूमन धान की फसल के बाद धान के बचे अवशेष (पैराली) को ज्यादातर जगहों पर खेतो में जलाते या अन्यत्र फेंकने की शिकायत मिलती है लेकिन इन पैराली से क्या कोई आर्ट या कलाकृति बनाते आपने सुना है....? शायद नही न..? लेकिन बालोद जिले में अब इन पैराली से महिला समूह खूबसूरत आर्ट बनाकर इससे अच्छी खासी आय अर्जित कर रही है साथ ही पर्यावरण को सहेजने एक सुंदर सन्देश भी दे रही है..... महिलाओं के इस कलाकृतियों की जिले तथा संभाग के अधिकारी भी सराहना कर रहे है.... वही इन कलाकृतियों को अब सीमार्ट के माध्यम से प्रदेश के अन्य जगहों पर भी बेचने की योजना बनाई जा रही है.....