बोलता गांव डेस्क।।
छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना के तहत बने गोठानों की सरकार पर निर्भरता खत्म होने लगी है। सरकार ने गुरुवार को गोबर बेचने वालों को चार करोड़ 62 लाख रुपए का भुगतान किया। इसमें से दो करोड़ 88 लाख रुपए का भुगतान गोठानों ने खुद की कमाई से किया है। शेष एक करोड़ 74 लाख रुपए कृषि विभाग की ओर से दिए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे गोधन न्याय योजना की बड़ी सफलता कहा है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को अपने निवास कार्यालय में आयोजित एक वर्चुअल आयोजन में गोधन न्याय योजना से जुड़े लोगों का भुगतान किया। गोबर विक्रेताओं, स्व-सहायता समूहों और गोठान समितियों को सात करोड़ 83 लाख रुपए दिए गए। गोबर विक्रेताओं के बैंक खाते 4 करोड़ 62 लाख रुपए डाले गए। गोठान समितियों को एक करोड़ 28 लाख रुपए तथा महिला समूहों के खाते में एक करोड़ 93 लाख रुपए का लाभांश दिया गया। यह भुगतान 16 से 30 नवम्बर के बीच के एक पखवाड़े का था। इस मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, कहा, प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में आधे से अधिक गोठान स्वयं के संसाधनों से गोबर की खरीदी कर रहे हैं।
राज्य सरकार को इन गोठानों को गोबर खरीदने के लिए पैसा देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। गोबर विक्रेताओं को भुगतान की गई चार करोड़ 62 लाख रुपए में से चार हजार 270 स्वावलंबी गोठानों का दो करोड़ 88 लाख रुपया भी शामिल है। स्वावलंबी गोठानों ने अब तक अपने संसाधनों से 29 करोड़ 61 लाख रुपए से अधिक का गोबर खरीदा है। गोधन न्याय मिशन के प्रबंध संचालक डॉ. अय्याज तम्बोली ने बताया कि गोबर खरीदी के एवज में अब तक 188 करोड़ 45 लाख रुपए का भुगतान हो चुका है।
गोठान समितियों और महिला स्व सहायता समूहों को लाभांश की राशि के रूप में 170 करोड़ पांच लाख रुपए की राशि का भुगतान किया जा चुका है। इस बीच गोठानों में 19 लाख 82 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन हुआ है। इसमें से 16 लाख 24 हजार क्विंटल बेचा जा चुका है।
गोठानों में बेलर मशीन दिलाने का निर्देश
मुख्यमंत्री ने कहा, गोठानों के लिए अब किसान खुद की पैरा दान कर रहे हैं। जब गोठानों में पशुओं के लिए चारा और पानी की व्यवस्था होगी, तो पशु खेती और सड़कों के बजाय वहीं रहेंगे। उन्होंने प्रदेश के अधिक से अधिक गोठानों में पैरा के बंडल बनाने के लिए बेलर मशीन उपलब्ध कराने के प्रयास करने के निर्देश अधिकारियों को दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में ऐसे उत्पाद प्राथमिकता के आधार पर तैयार किए जाएं, जिनकी सरकार को जरूरत है या जिनकी मार्केट में अच्छी मांग है।
गोठानों में अब उत्पादन पर जोर
मुख्यमंत्री ने कहा, राजिम विधानसभा क्षेत्र में भेंट-मुलाकात के दौरान एक महिला ने उन्हें बताया कि वर्मी कम्पोस्ट के लिए उपयोग में आने वाली बोरियों में प्रिंटिंग का काम कर उसने चार लाख रुपए कमाए हैं। यह अच्छा संकेत है। अच्छे उत्पादों को तैयार करने के लिए युवाओं और महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाए। इस रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के जरिए आने वाले समय में छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में एक मजबूत अर्थव्यवस्था खड़ी होगी, जो देश और दुनिया के लिए उदाहरण होगी।
प्रदेश में 9,619 गोठानों में चल रहा काम
कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने बताया, प्रदेश में अब 11 हजार 252 गोठानों को स्वीकृति दी गई है। जिनमें से 9 हजार 619 गोठान बन गए हैं। इनमें से 8 हजार 440 गोठान ग्रामीण क्षेत्रो में बने हैं। इन गौठानों में से चार हजार 270 गोठान स्वावलंबी हो गए हैं। गोबर खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन और वितरण का काम विभिन्न विभागों के समन्वय से किया जा रहा है। आने वाले समय में वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन छत्तीसगढ़ में एक बड़ा अभियान बनेगा।