Success Story: परिश्रम और आत्मविश्वास से कठिन से कठिन कार्य भी बिल्कुल आसान हो जाता है. इस बात को चरितार्थ जहानाबाद के मखदुमपुर के पलेया के रहने वाले मनीष कुमार शर्मा ने किया. पटना में सरकारी नौकरी की तैयारी करने पहुंचे और 5 से 6 साल तक उन्होंने मेहनत की. हालांकि, किस्मत साथ नहीं दिया, तो उन्होंने वहीं से एक खटाल से कम कीमत में दो गाय खरीदकर अपने गांव ले आए और डेयरी के धंधे में जुट गए. दोनों गायों में से एक गाय अंधी थी. मेहनत और लगन में कोई कमी नहीं होने की वजह से उन्होंने आज खुद की एक डेयरी फार्म खड़ी कर ली. 2008 में इसकी शुरुआत की थी. इसके बाद 2013 से 2014 तक इनके पास 60 अच्छी नस्ल की गाय हो गई.
इतना ही नहीं, नूतन डेयरी फार्म उस समय जिले में एक पहचान के रूप में विकसित हो गया. उस वक्त 300 लीटर तक प्रतिदिन दूध उत्पादन हो रहा था. हालांकि, कुछ कारणवश आज गाय की संख्या घट गई है और अभी कुल 20 गाय है. हालांकि आज भी 100 से 150 लीटर प्रतिदिन दूध उत्पादन हो जाता है. मेहनत अब भी उतनी ही करते हैं.
लोकल 18 से बात करते हुए मनीष कुमार शर्मा के भाई शैलेश कुमार ने बताया कि हमारे यहां दो गाय से दूध उत्पादन की शुरुआत हुई थी. इसमें मुख्य रूप से योगदान मनीष कुमार का है. उसने ही यह शुरुआत 2008 में की थी. दो गाय पटना के एक खटाल से कम कीमत में खरीदकर लाया था, उसमें से एक गाय अंधी थी. मनीष कुमार को बचपन से ही जानवरों से प्यार था. इस वजह से यह कदम उठाया.
उन्होंने Local 18 को आगे बताया कि पढ़ाई करने के लिए वह पटना गया था. 5 से 6 साल तक पटना में सरकारी नौकरी की तैयारी की. इस वक्त हम दिल्ली में ही काम करते थे. नौकरी नहीं लगी, तो पटना से ही दो गाय जब घर ले आया, तो हम भी वहां से घर पर ही आ गए. इसके बाद इस व्यापार में जुट गए. शुरुआत काफी शानदार रहा. मेहनत और लगन से काफी ज्यादा फायदा 3 से 4 साल में ही दिखने लगा. 2013 से 2014 तक हमारे पास 60 गाय अच्छी नस्ल की हो गई.
दूध उत्पादन भी खूब होने लगा. उस वक्त अच्छी खासी कमाई भी हो रही थी. हालांकि, किसी कारण से समय के साथ डेयरी में कुछ गाय की मौत हो गई. इससे व्यापार पर कुछ असर पड़ा है. अभी भी 100 से 150 लीटर दूध प्रतिदिन उत्पादन हो ही जाता है. लवे लोकल 18 को बताते हैं कि 50 लीटर दूध सेंटर से ही बिक जाता है और 50 से 100 लीटर तक दूध होम डिलीवरी करते हैं. अभी हमारे पास कुल 20 गाय हैं, जो क्रॉस नस्ल की हैं.
आज भी उसी मेहनत से काम कर रहे हैं. दिन भर इसी व्यापार में लगे रहते हैं. ठंड के लिए अपनी गायों को लेकर खास व्यवस्था कर रखे हैं. शुरुआत में यहां पर झोपड़ी डालकर अपनी गायों को रखते थे. हालांकि, समय परिवर्तित होता गया और धीरे-धीरे जब मुनाफा हुआ, तो फिर सभी व्यवस्थाएं करने लगे. आज यह है कि हमारे यहां गायों को रखने के लिए शेड बना हुआ है. डेयरी फार्म में हमेशा से हम दोनों साथ मिलकर चले हैं, मदद से ही आगे बढ़ रहे हैं.