बोलता गांव डेस्क।।
इसरो ने एक नई टेक्नोलॉजी के सफल परीक्षण की घोषणा की है। इसके जरिए मिशन गगनयान के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित हो सकेगी। जानकारी के मुताबिक इसरो की तरफ से टेक्नोलॉजी को गगनयान डिसलरेशन सिस्टम नाम दिया गया है। इसमें तीन मुख्य पैराशूट शामिल हैं, जो सुरक्षित लैंडिंग के लिए अवरोही क्रू मॉड्यूल की गति को कम कर देंगे। इसरो के अनुसार इंटीग्रेटेड मेन पैराशूट एयरड्रॉप टेस्ट या आईएमएटी ने 5 टन के डमी अंतरिक्ष यान का इस्तेमाल किया,जिसे झांसी के बाहरी इलाके में बबीना के छोटे छावनी शहर के माध्यम से उतरने से पहले 2.5 किमी की ऊंचाई पर लाया गया था।
इसरो के मुताबिक गगनयान डिसलरेशन सिस्टम में कुल दस पैराशूट होते हैं। इनमें तीन प्राथमिक वाले और अन्य ड्रग पैराशूट अंतरिक्ष यान की गति को सुरक्षित लैंडिंग स्तर तक कम करने के लिए हैं। इस परीक्षण के लिए एजेंसी ने भारतीय वायु सेना के IL-76 विमान का उपयोग करके डमी अंतरिक्ष यान को गिरा दिया और वैज्ञानिकों ने एक ऐसी स्थिति का अनुकरण किया जहां दो मुख्य पैराशूट में से एक नहीं खुला। इसरो ने यह भी बताया कि शुरुआती झटके को कम करने के लिए मुख्य पैराशूट का आकार शुरू में एक छोटे क्षेत्र तक ही सीमित किया गया था।
टेस्टिंग को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के सहयोग से अंजाम दिया गया। एजेंसियों ने गगनयान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रत्येक पैराशूट के परीक्षण के लिए झांसी में बबीना फील्ड फायर रेंज में ऐसे पांच परीक्षणों की योजना बनाई है। इसी कड़ी में आगे 5 टन पेलोड का उपयोग करके क्लस्टर मुख्य पैराशूट की लीड-लैग तैनाती का प्रक्षेपण किया जाएगा।
जानें गगनयान कब होगा लॉन्च
गगनयान मिशनों की एक शृंखला है। जिसमें मानव रहित और स्टाफ दोनों मिशन शामिल हैं। इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र के निदेशक आर उमामहेश्वरन ने अक्टूबर में कहा था कि एजेंसी फरवरी 2023 में भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए परीक्षण उड़ानों की एक श्रृंखला शुरू करेगी। ऐसे में माना जा रहा है कि पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत में पहली उड़ान भरने की संभावना है।