कला-संस्कृति ने दी छत्तीसगढ़ को एक नयी पहचान
छत्तीसगढ़ लगातार तरक्की की नई राह पकड़ता जा रहा है और इसकी तरक्की की कहानी इसकी कला और संस्कृति के जिक्र के बिना अधूरी है। छत्तीसगढ़ की हजारों साल पुरानी आदिवासी संस्कृति, कला, हैंडीक्राफ्ट दुनिया भर के कला प्रेमियों के दिल में खास जगह रखती है। इसी समृद्ध विरासत की वजह से इसे देश की कल्चरल कैपिटल कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
छत्तीसगढ़ में निवासरत जनजातियों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत रही है, जो उनके दैनिक जीवन तीज-त्यौहार एवं धार्मिक रीति-रिवाज एवं परंपराओं के माध्यम से अभिव्यक्त होती है। बस्तर के जनजातियों की घोटुल प्रथा प्रसिद्ध है। जनजातियों के प्रमुख नृत्य गौर, कर्मा, काकसार, शैला, सरहुल और परब जन-जन में लोकप्रिय हैं। जनजातियों के पारंपरिक गीत-संगीत, नृत्य, वाद्य यंत्र, कला एवं संस्कृति को बीते ढाई सालों में सहेजने-सवारने के साथ ही छत्तीसगढ़ सरकार ने विश्व पटल पर लाने का सराहनीय प्रयास किया है।
छत्तीसगढ़ की महान संस्कृति की झलक आज भी इसकी कला, संस्कृति, नाच गानों और त्योहारों में दिखती है। बस्तर, सरगुजा, कांकेर जैसे जिले आदिवासियों की महान कला के गढ़ है। बस्तर की डोकरा कम्युनिटी के आर्ट वर्क ने पूरी दुनिया के कला प्रेमियों को अपना दीवाना बना रखा है। बेल मेटल, रॉट आयरन के हैंडीक्राफ्ट आपको सिर्फ यहीं मिलेंगे। वैसे छत्तीसगढ़ में 18 तरह के हैंडीक्राफ्ट बनाए जाते है। यहां की टेरा कोटा, वुड कार्विंग भी बेदह मशहूर है।
जब मैं साल 2016 के रायपुर राज्योत्सव में गयी तो मैं भी इसकी कला की दीवानी हो गयी. ऐसा लग रहा था सब कुछ अपने घर उठा ले जाऊ देखने में बेहद सुंदर और आकर्षक दिखने वाले छत्तीसगढ़ के हैंडीक्रॉफ्ट की मांग आज देश-विदेश में तेजी से बढ़ रही है। सिंगापुर, यूके, दुबई, जर्मनी, मलेशिया जैसे देश राज्य के ट्राइबल हैंडीक्राफ्ट का बड़ा बाजार है। छत्तीसगढ़ की गोदना कला का भी कोई मुकाबला नहीं है। आज का मार्डन टैटू इसी पुरानी कला का नया अंदाज है। पुराने जमाने में आदिवासी तबके के कुछ समुदाय इसे अपने पूरे शरीर में गुदवाते थे लेकिन अब इस कला कपड़े पर उतारे जा है।
छत्तीसगढ़ सिर्फ ट्राइबल आर्ट के मामले में ही दुनिया में अपनी जगह नहीं बना रहा है बल्कि इसके तरह तरह के सिल्क भी देश विदेश में तेजी से पॉपुलर हो रहे है। जिनमें लेटेस्ट है अहिंसा सिल्क जो आज खूब फैशन में है। आर्ट और कल्चर के अलावा टूरिज्म की भी छत्तीसगढ़ में बड़ी संभावनाएं है। बस्तर का चित्रकोट वॉटर फॉल, टीटागढ़ वाटर फॉल, जंगल सफारी इसके बड़े टूरिस्ट प्वाइंट है। टूरिज्म के मामले में छत्तीसगढ़ की तरक्की का पता इस बात से भी चलता है कि यहां के लोग बड़ी तादद में विदेशों में घूमने-फिरने जाते हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार का ध्यान भी अपने ट्राइबल टूरिज्म की संभावनाओं की तरफ गया है। छत्तीसगढ़ हैंडीक्राफ्ट की खूब मार्केटिंग हो रही है। नई पीड़ी को भी ट्रेंड करने के लिए बड़ी प्लानिंग हो रही है।
छत्तीसगढ़ की 2.5 करोड़ की आबादी में करीब 31 फीसदी आदिवासी है। हलांकि अभी छत्तीसगढ़ के हैंडीक्राफ्ट का राज्य की जीडीपी में 1 फीसदी से भी कम योगदान है लेकिन जिस रफ्तार से आदिवासी हैंडीक्राफ्ट और टूरिज्म को लेकर लोगों में रुचि बढ़ रही है, सरकार के पास इसे भुनाने का अच्छा मौका है।
आदिवासी हैंडीक्राफ्ट के कद्रदान तेजी से बढ़ रहें है, और यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के युवाओं को अब इसमें अपना भविष्य भी नजर आ रहा है। युवाओं की बढ़ती रुचि के चलते ही राज्य में डिजाइन डेवलपमेंट इंस्टीटयूट बनाए जाने का फैसला लिया गया है। छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प बोर्ड को भी ट्राइबल आर्ट का बड़ा बाजार नजर आ रहा है, वो पूरे देश में इसे प्रमोट करने में लगा है .