शक्ति रूपेण संस्थिता : नक्सलियों की मांद में ग्रामीणों का प्रतिनिधित्व कर रहीं ये दो महिलाएं, समस्याओं से दो चार हो रहे लोगों की बन रही आवाज Featured

शक्ति रूपेण संस्थिता : नक्सलियों की मांद में ग्रामीणों का प्रतिनिधित्व कर रहीं ये दो महिलाएं, समस्याओं से दो चार हो रहे लोगों की बन रही आवाज News credit – lalluram.com

बोलता गांव डेस्क।।WhatsApp Image 2022 09 26 at 10.35.59 1 large

वहां कैसा डर, सब तो अपने है, जितना सम्भव होता है मैं पूरी शिद्दत से प्रयास करती हूं कि गांवों का विकास हो, हालांकि अड़चने बहुत है, फिर भी जिन्होंने मुझे चुना उनकी उम्मीदों पर खड़ी उतरने की मेरी कोशिश होती है. ये कहना है शीला परसा का, जो भैरमगढ़ जनपद से जनपद सदस्य हैं. शीला 2019 के पंचायत निर्वाचन में जनपद सदस्य चुनी गई थीं. उनके जनपद क्षेत्र में बिरियाभूमि, हितामपारा और गुडसाकाल पंचायत आता है.

 

शीला की तरह कलावती कर्मा भी जनपद सदस्य हैं, जो इंद्रवती नदी के दूसरी तरफ अबूझमाड़ की सरहद से लगे ताकिलोड, बैल और मर्रामेटा का प्रतिनिधित्व करती हैं. ये दोनों महिलाएं उदाहरण है कि बस्तर के दुरस्थ इलाकों में विकास का प्रतिनिधित्व करने अब महिलाएं भी आगे आ चुकी हैं. हालांकि जिन इलाकों का प्रतिनिधित्व दोनों महिलाएं कर रही हैं, वह बड़ा ही साहसपूर्ण है. वजह है नक्सलियों का चरम प्रभाव.

 

जरुरी आवश्यकता पूरी करने की कोशिश

 

बीजापुर का भैरमगढ़ ब्लॉक के दायरे में आने वाले दर्जनों गांव नक्सली प्रभाव के चलते बुनियादी विकास से अछूते हैं, इनमें कलावती का क्षेत्र सर्वाधिक प्रभावित है. ताकिलोड, बैल, मर्रामेटा ये ऐसे पंचायत है, जो कठिन भौगोलिक परिस्थिति से घिरे होने के साथ इलाके में नक्सलियों का अच्छा-खासा दबदबा है, इंद्रावती नदी को लांघे बिना उक्त गांवों तक पहुंच पाना सम्भव नहीं है. बुनियादी विकास के तहत स्कूल-आंगनबाड़ी, अस्पताल जैसी अधोसंरचना को यहां पूरी तरह से स्थापित नहीं किया जा सका है.

पंचायत व्यवस्था के तहत ही कलावती को यहां प्रतिनिधित्व का अवसर मिला है. लेकिन परिस्थितियों का हवाला देते वे कहती हैं कि उनकी कोशिश रहती है कि जहां तक सम्भव हो, बुनियादी आवश्यकता को वो पूरा करने की कोशिश करती हैं.

 

आपात स्थिति में होती है परेशानी

 

चिंता जाहिर करते हुए कलावती कहती है कि कोई बीमार हो, महिला को प्रसव पीड़ा हो तो इलाज के लिए भैरमगढ़ आने इंद्रावती नदी पार करनी पड़ती है. मोबाइल नेटवर्क भी उन इलाकों में काम नहीं करते, लिहाजा कोई आकर खबर करे तो किसी तरह मरीज-गर्भवती को लाने वाहन इंतजाम कर पाते हैं. अफसोस तो उन्हें बहुत होता है, फिर भी पत्राचार के जरिए जनता हित बसे जुड़ी बातों और मांगों को रखने की कोशिश करती है.

 

प्रयासों से मिलेगा मुकाम

 

इंद्रवती नदी के इस पार जनपद सदस्य शीला भी अपने क्षेत्र के विकास के लिए फिक्रमंद हैं. लेकिन सड़क जैसी बुनियादी सुविधा तक इलाके में कोसो दूर तक नहीं है. शिला कहती हैं कि सड़क नहीं है इस वजह से गांव तक एम्बुलेंस नहीं पहुंचती. राशन के लिए भी ग्रामीण मीलों सफर तय करते हैं. दिक्कतें बहुत हैं, फिर भी उन्हें विश्वास है कि कोशिशें जारी रखी जाए तो अंधकार के बादल कभी जरूर छटेंगे.

 

प्राथमिकता पर विकासकार्य

 

आठवीं तक पढ़ी लिखी शीला कहती हैं कि जब वह जनपद की सामान्य सभा में उपस्थित होती हैं तो गांवों के विकास को लेकर अपनी बात रखने का अवसर मिलता है. वह बेहद ही सुखद अनुभव होता है. अपने क्षेत्र का दौरा करती हैं, लेकिन साप्ताहिक बाजार संवाद का सशक्त माध्यम होता है. जब ग्रामीण बाजार पहुंचते हैं और इसी दौरान अपनी बात उन तक पहुंचाते भी हैं. हालांकि परिस्थितिया स्वतंत्र काम करने के लिए अनुकूल नहीं हैं. फिर भी वह तन्मयता से विकासकार्यों को प्राथमिकता में लेकर चल रही हैं.

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