रूस और यूक्रेन के 38 दिन इस युद्ध से बहुत कुछ सीखना होगा: अशोक मधुप Featured

IMG 20220404 230258

युद्ध से बहुत कुछ सीखना होगा

 

अशोक मधुप 

 

रूस और यूक्रेन के बीच 38 दिन से चल रहे युद्ध से दुनिया को बहुत कुछ सीखना होगा। समझना होगा। भविष्य के लिए अपनी सेना को हर हालात के लिए तैयार करने के लिए सभी देशों के लिए इस युद्ध का अध्ययन आवश्यक हो गया है। आवश्यक हो गया है ये पता करना कि दुनिया की विशालतम सेनाओं में से एक और दुनिया की बड़ी शक्ति रूस एक छोटे से देश यूक्रेन को 38 दिन बाद भी नहीं झुका पाया। यह भी अध्ययन करना होगा कि यूक्रेन जैसा छोटा देश किस आधार पर , किस तरीके से , किस युद्ध संयोजन से दुनिया की एक महाशक्ति से 38 दिन से लोहा ले रहा है।

 

रूस− चीन और अमेरिका दुनिया की तीन ताकत मानी जाती हैं। इनके पास दुनिया की बड़ी सेनांए है। साथ ही आधुनिकतम हथियार भी इनके पास हैं।दुनिया की सबसे उन्नत शस्त्र और सुरक्षा प्रणाली इनके पास है।इतना सब होने पर 38 दिन तक रूस पूरी ताकत से हमला करने के बाद भी अपने से तीन गुने छोटे यूक्रेन पर कब्जा नहीं कर सका। लगता यह है कि रूसी सेना ने इस युद्ध के लिए कोई प्लान तैयार नही किया।रणनीति नही बनाई। अपने को सबसे ताकतवर समझा। माना की वह यूक्रेन को मच्छर की तरह मसल देगा। आदेश मिला और हमला कर दिया।मान लिया कि उनकी सेना देख दुश्मन खुद हथियार डाल देगा।विशेषज्ञ रूस की सेना की असफलता के बारे में कह रहे हैं कि यूक्रेन ठंडा है। रूस के टैंक वहां निष्क्रिय हो गए। क्या हमले से पूर्व रूस को ये पता नही था कि वहां क्या हालात मिलेंगेॽ कैसे मौसम होगा। वैसे भी रूस तो खुद ठंडा देश है। 

 

पूरी दुनिया को भविष्य के युद्ध के लिए अपने को तैयार रखने के लिए रूस की सेना की इस विफलता के कारणों का अध्ययन करना बहुत जरूरी हो गया है। रूस के पास दुनिया का आधुनिकतम सुरक्षा तंत्र है। इसकी मिजाइल एस 400 सुरक्षा प्रणाली भारत ने खरीदी है। मिजाइल 400 सुरक्षा प्रणाली से भी आधुनिक हवाई सुरक्षा तंत्र होते यूक्रेनी हैलिकाप्टर ने युद्ध के 37वें दिन रूस की सीमा में 35 किलोमीटर अंदर घुंसकर बेलगोराद शहर की तेल डिपों पर हमला कैसे कर दियाॽ इतने बड़े सुरक्षा तंत्र के होते यूक्रेनी हैलिकाप्टर ने   युद्ध के 37वें दिन रूस की सीमा में 35 किलोमीटर अंदर  घुंसकर बेलगोराद शहर की तेल  डिपों पर हमला कैसे  कर दियाॽ इतने बड़े सुरक्षा तंत्र के बीच, ये कैसे हो गया।37 दिन से युद्ध चल रहा है।  दुश्मन के हमले की आशंका को देखते हुए ऐसे में पूरा सुरक्षा तंत्र सक्रिय रहता है।  हवाई सुरक्षा तंत्र तो वैसे भी 24 घंटे काम करता है।इसके बावजूद यूक्रेन के दो हैलिकाप्टर रूस की सीमा में 35 किलोमीटर अंदर तक कैसे चले गए। क्या रूस की सुरक्षा प्रणाली में कहीं कमी है। कहीं झोल है,  इसपर  काम करना होगा। इसका पता चलाना होगा।अभी भारत की भूल से चली एक मिजाइल  पाकिस्तान में 125 किलोमीटर अंदर जाकर गिरी। पाकिस्तान के पास चीन से खरीदा हुआ आधुनिक हवाई सुरक्षा सिस्टम एचयू−9 है।इस आधुनिक हवाई सुरक्षा तंत्र के होते ये मिजाइल कैसे पाकिस्तान में 120 किलोमीटर अंदर तक चली गई। जरूरत चीन ने इस सिस्टम की विफलता के  अध्ययन की है। हमें दुश्मन  देशों का मुकाबला करने के लिए उनके सुरक्षा तंत्र और हवाई सुरक्षा प्रणाली की कमियों को खोजना होगा।इस पर गंभीरता से काम करना होगा।इन कमियों का लाभ उठाने के लिए देश को तैयार करना होगा।

 

यूक्रेन यूरोप का सबसे गरीब देश है। चार करोड़ 41 लाख की आबादी वाला ये छोटा देश अब तक कैसे रूस का मुकाबला कर रहा है, इसकी युद्ध विशेषज्ञों से जांच करानी होगी। रूस की ताकत और यूक्रेन की क्षमता को देख  लगता था कि यूक्रेन सिर्फ हमले के कुछ क्षण में हथियार डाल देगा,किंतु युद्ध के 38 दिन बाद भी  वह मजबूती से लड़ रहा है, यह एक बड़ी बात है। उसकी जिजिविषा के आगे नतमस्तक होने को जी करता।वैसे भी भले ही 25 लाख यूक्रेनी नागरिक देश छोड़ गए हों किंतु वहां की सेना ही नही लड़ रही। पूरा देश युद्ध लड़ रहा है। अमेरिका और अन्य देशों ने यूक्रेन के राष्ट्रपति  से देश छोडने का कहा, किंतु युद्ध के 38 दिन बीतने पर भी वह अपने युद्धरत देश और देशावासियों के बीच मौजूद हैं। सेना का हौसला बढ़ा रहे हैं। देशवासियों को युद्ध के लिए प्रोत्साहित कर रहें  हैं।उन्हें शस्त्र दे रहे हैं।

 

वहां की जनता  और देश के राष्ट्रनायक के हौसलों की वजह से युद्ध जारी है। शुरूआत में मीडिया ने यूक्रेन के राष्ट्रपति को  अभिनेता और एक राजनीतिक व्यंग्यकार ने रूप में पेश किया। 

 

यूक्रेन के राष्ट्रपति को  अभिनेता और एक राजनीतिक व्यंग्यकार ने रूप में पेश किया। मजाक उड़ाया था कि एक कामेडियन ऐसे गंभीर संकट के समय में देश का क्या नेतृत्व करेगा। यूक्रेन के राष्ट्रपति ने दुनिया के सारे राजनैतिक विशेषज्ञों के सारे अनुमान फेस कर दिए। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने संकट की इस घड़ी में  कमाल की बहादुरी दिखाई । मनोरंजन की दुनिया से राजनीति में आए   शख्स ने इस युद्ध की घाड़ी में अपने देशवासियों को वीडियो संदेशों में कहा, "आजाद लोग! आजाद देश!"जेलेंस्की कहते हैं, "हम यूक्रेनवासी एक शांतिपूर्ण राष्ट्र हैं लेकिन अगर आज हम चुप रहे तो कल खत्म हो जाएंगे।  ये बात कोई विरला ही कर पाता है। उनके ये वाक्य इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर रह जाएंगे।

 

याद आते हैं कुछ युद्ध। चमकौर का युद्ध। दस लाख मुगल सेनिकों ने गुरू गोविंद सिंह को घेरा । गुरु गोविंद सिंह की सेना में केवल उनके दो बड़े साहिबजादे अजीत सिंह एवं जुझार सिंह और 40 अन्य  सिंह थे। इन 43 बहादुरों  ने मिलकर ही वजीर खां की आधी से ज्यादा सेना का विनाश कर दिया था। और इतने बड़े जमावड़े से गुरू गोविंद सिंह साफ बचकर निकल गए। 12 सितंबर 1897 में 10  हजार  पश्तूनों ने सारागढ़ी पर हमला किया।यह छोटी चौकी सारागढ़ी आज पाकिस्तान में है।दो किले लोकहाट और गुलिस्तान  के बीच कम्युनिकेशन पोस्ट के तौर पर काम करती  थी। इस पोस्ट पर 21 सिख जवान तैनात थे। ये अपना परिणाम  जानते थे किंतु इन्होंने लड़ाई लड़ी।  इतिहास की सबसे महान लड़ाई लड़ी। 21 सिखों ने 10 हजार  अफगानों से लोहा लिया और शहीद होते-होते 600 पश्तूनों को मार दिया। रेजिमेंट के लीडर इशर सिंह ने 20 दुश्मनों से ज्यादा को मौत के घाट उतारा। यह लड़ाई इसलिए महान है क्योंकि इसका नतीजा सभी को पता था। इसके बावजूद सिख सैनिक अपने देश के लिए लड़े और अतिरिक्त सेना के पहुंचने तक 10 हजार  दुश्मनों  को एक दिन तक आगे बढ़ने से रोककर रखा।

 

 युद्ध  देश, देशवासी और सेना का मनोबल लड़ता है। आधुनिक शस्त्र सुरक्षा प्रणाली उन्हें रक्षा  कवच उपलब्ध  कराते हैं।  इस युद्ध में यहीं बात यूक्रेन के पक्ष में है।  इसी सब पर अध्ययन की जरूरत है।चिंतन की जरूरत है।इससे सीख लेकर अपने देश और अपनी सेना को इसके अनुरूप ढालने की जरूरत है।  

 

 

 

 

Rate this item
(1 Vote)

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.

RO no 13028/15
RO no 13028/15 "
RO no 13028/15 "
RO no 13028/15 "

MP info RSS Feed