बोलता गांव डेस्क।।
कश्मीर घाटी (Kashmir Valley) में कश्मीरी पंडितों ( Kashmiri Pandits) के नरसंहार (genocide of Kashmiri Pandits) की जांच की मांग करने वाली याचिका को खारिज करने वाले आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में आज गुरुवार को दोबारा विचार करने के लिए एक उपचारात्मक (क्यूरेटिव) याचिका दायर की गई है. याचिका में साल 1989-90 के दौरान किए गए नरसंहार की जांच की मांग की गई थी, जिसे वर्ष 2017 में खारिज कर दिया गया था. यह याचिका कश्मीरी पंडितों के संगठन ‘रूट्स इन कश्मीर’द्वारा दायर की गई है.
इस याचिका में दावा किया गया कि शीर्ष अदालत यह आंकने में नाकाम रही कि 1989 से 1998 के बीच 700 कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी गई थी और 200 से अधिक मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. लेकिन किसी भी प्राथमिकी में आरोपपत्र नहीं दाखिल किया जा सका.
दरअसल, कश्मीरी पंडितों की हत्याओं पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के आने के बाद से देश में यह मांग तेजी से उठ खड़ी हुई है कि कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के नसंहार की जांच दोबारा कराई जाए और जिम्मेदार दोषियों को सजा दी जाए.
याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत द्वारा वर्ष 2017 में रिट याचिका का खारिज किया जाना न्यायसंगत नहीं था. इसमें यह भी कहा गया है कि याचिका को केवल इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि 1989-90 की अवधि से संबंधित घटनाओं का सबूत इतने दिनों बाद अब मिलने की संभावना नहीं है.
याचिकाकर्ता के मुताबिक अदालत ने यह भी कहा था कि इससे किसी फलदाई मकसद की प्राप्ति नहीं होगी. अब इस याचिका में कहा गया, यह वाकई न्याय करने में नाकामी के बराबर है या न्याय की पूरी तरह अवहेलना है.
याचिका में मांग की गई है कि कश्मीरी पंडितों के खिलाफ 1989-90, 1997 और 1998 में किए गये हत्या समेत अन्य अपराधों की जांच अदालत द्वारा नियुक्त केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) या राष्ट्रीय जांच ब्यूरो (एनआईए) जैसी किसी स्वतंत्र एजेंसी से करायी जाए.