नौकरी बदलने का मतलब केवल नई शुरुआत ही नहीं है, बल्कि यह अपने फाइनेंस को फिर से ठीक करने का अवसर भी है. हालांकि, इस दौरान सही कदम न उठाने पर ज्यादा टैक्स देनदारी या अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. नई नौकरी में पुराने वेतन, टैक्स कटौती (TDS) और फाइनेंस से जुड़े अन्य पहलुओं की सही जानकारी देना बेहद जरूरी है. तो आज का यह लेख इसी विषय पर है कि यदि आप नौकरी बदल रहे हैं तो अपने फाइनेंशियल्स को कैसे दुरुस्त करें.
नौकरी बदलते समय नई कंपनी को अपने पिछले वेतन, टैक्स कटौती, और डिडक्शन्स की जानकारी देना अनिवार्य है. इससे यह सुनिश्चित होगा कि नई कंपनी सही तरीके से टैक्स कटौती कर सके. इसके लिए फॉर्म 12B का उपयोग करें, जो आयकर विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है. इसमें नौकरी की अवधि, वेतन, 80C के तहत कटौती और पिछले नियोक्ता द्वारा काटे गए TDS का विवरण देना होता है. अगर यह समझ में न आए तो आप अपनी पुरानी सैलरी स्लिप या टैक्स कम्प्यूटेशन ईमेल के जरिए भी नई कंपनी को जानकारी भेज सकते हैं.
इन्वेस्टमेंट सर्टीफिकेट और फॉर्म-16
नौकरी बदलने वाले वित्तीय वर्ष में हर नियोक्ता से फॉर्म 16 लेना बेहद जरूरी है. यह टैक्स रिटर्न भरने के दौरान उपयोगी होता है. यदि दो नौकरियों के वेतन को मिलाकर रिटर्न फाइल किया जाए, तो टैक्स देनदारी हो सकती है. इसलिए समय पर रिटर्न फाइल करें और निवेश के प्रमाण (investment proofs) दोनों नियोक्ताओं को दें.
हेल्थ इंश्योरेंस की समीक्षा
नई कंपनी का कॉर्पोरेट हेल्थ इंश्योरेंस प्लान समझना बेहद महत्वपूर्ण है. यह पता लगाएं कि कौन-कौन इसमें कवर हैं जैसे कि पति/पत्नी, बच्चे, या माता-पिता. यदि नई कंपनी का प्लान पर्याप्त नहीं है, तो आप अतिरिक्त इंश्योरेंस प्लान ले सकते हैं.
आम तौर पर कंपनियां 2 लाख से 5 लाख रुपये तक का कवरेज देती हैं, जिसे 10 लाख रुपये तक बढ़ाने का विकल्प होता है. यदि नई कंपनी बीमा नहीं देती, तो अपनी पर्सनल स्कीम को समायोजित करें, जैसे कि डिडक्टिबल को हटा दें, ताकि आपका कुल कवरेज समान बना रहे.
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)
अपने EPF खाते को बनाए रखना आपके रिटायरमेंट के लिए फायदेमंद है. इसे निकालने की बजाय, पुराने EPF खाते को नई नौकरी से कनेक्ट करें. इसके लिए अपना मौजूदा UAN (यूनिवर्सल अकाउंट नंबर) और EPF खाता नंबर नई कंपनी को दें. इससे आपका निवेश ट्रैक करना आसान हो जाएगा.
बढ़े हुए वेतन का सही उपयोग
नई नौकरी में वेतन बढ़ने पर इसे अपनी फाइनेंशियल कंडीशन को मजबूत करने के लिए इस्तेमाल करें. सबसे पहले इमरजेंसी फंड बनाएं और ऊंची-ब्याज वाले कर्ज, जैसे क्रेडिट कार्ड का बकाया चुकाएं. इसके बाद पर्सनल लोन को निपटाएं और फिर होम लोन का प्री-पेमेंट करें.
कर्ज चुकाने और इमरजेंसी फंड के बाद, निवेश पर ध्यान दें. यदि आप शेयर बाजार में नए हैं, तो म्यूचुअल फंड के SIP शुरू करें. मौजूदा SIP में योगदान बढ़ाएं या वॉलंटरी प्रॉविडेंट फंड (VPF) में निवेश करें, जो टैक्स-फ्री रिटर्न देता है. नई कंपनी से इस प्रक्रिया के बारे में जानकारी लें.