नई दिल्ली: देश के टॉप प्राइवेट बैंकों में से एक यस बैंक (Yes Bank) को खरीदने के होड़ में अब दो ही दावेदार रह गए हैं। सूत्रों के मुताबिक जापान की दिग्गज फाइनेंशियल कंपनी मिजुहो ने यस बैंक में अहम हिस्सेदारी खरीदने की होड़ से बाहर निकलने की योजना बनाई है। इसके बाद अब इस बैंक को खरीदने की होड़ में केवल सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (SMBC) और एमिरेट्स एनबीडी रह गए हैं। एसेट के लिहाज से यस बैंक देश का छठा सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक है। इसकी मार्केट वैल्यू 73,020.67 करोड़ रुपये है। 51% हिस्सेदारी बिक्री से यह बैंकिंग सेक्टर में देश का अब तक का सबसे बड़ा मर्जर एंड एक्विजिशन होगा।
यस बैंक में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) 23.99% हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ा शेयरहोल्डर है। साथ ही इसमें एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, एक्सिस बैंक और एलआईसी की कुल 11.34% हिस्सेदारी है। जून तक दो निजी इक्विटी फंड एडवेंट इंटरनेशनल और कार्लाइल के पास बैंक में क्रमशः 6.94% और 9.20% हिस्सेदारी थी। एसबीआई ने इन खबरों का खंडन किया है कि वह यस बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेच रहा है। यस बैंक के प्रवक्ता ने कहा कि हम अटकलों पर आधारित सवालों पर टिप्पणी नहीं करेंगे। एसएमबीसी ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। मिजुहो के भारत के प्रतिनिधियों और अबू धाबी में एमिरेट्स एनबीडी के प्रवक्ताओं ने सवालों का जवाब नहीं दिया।
क्यों हटा जापानी बैंक
सूत्रों के मुताबिक मिजुहो बैंक में फाइनेंशियल इनवेस्टमेंट करना चाहता था और बिना किसी बोर्ड प्रतिनिधित्व के बैंक में 20-24% हिस्सेदारी हासिल करना चाहता था। वह बैंक में अतिरिक्त 26% हिस्सेदारी खरीदने के लिए कोई ओपन ऑफर भी शुरू नहीं करना चाहता था। फाइनेंशियल सेक्टर में जापान से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के कई प्रोजेक्ट अटके हुए हैं। शायद यही वजह है कि मिजुहो के मैनेजमेंट ने इससे किनारा करने में ही भलाई समझी। जापान के सबसे बड़े वित्तीय संस्थान बैंक ऑफ टोक्यो-मित्सुबिशी यूएफजे (MUFG) और एचडीएफसी बैंक के बीच HDB फाइनेंशियल सर्विसेज में करीब $2 अरब के निवेश के लिए बातचीत अटकी हुई है। HDB फाइनेंशियल सर्विसेज अपना आईपीओ लाने की तैयारी में है।
MUFG को यस बैंक के लिए भी चुना गया था, लेकिन उसने शुरुआती बातचीत के बाद इससे किनारा कर लिया। HDB में MUFG के प्रस्तावित निवेश को भारत में वित्तीय सेवाओं में सबसे बड़ा FDI बताया गया था। एक एग्जीक्यूटिव ने कहा कि अमेरिकी बैंक भारत से बोरिया-बिस्तर समेट रहे हैं, यूरोपीय बैंकों के पास निवेश करने के लिए पूंजी नहीं है। केंद्र सरकार चीन की भागीदारी को लेकर उत्सुक नहीं है। अब जापान और पश्चिम एशिया बच जाते हैं। जापान की भारत में जड़ें गहरी हैं और व्यापक संस्थागत मौजूदगी है। RBI ने यस बैंक के लिए ऑनरशिप गाइडलाइंस में ढील दी है। एक ही खरीदार बैंक में 51% और उससे अधिक की नियंत्रण हिस्सेदारी खरीद सकता है।
क्या हैं मौजूदा नियम
मौजूदा नियमों में मुताबिक प्राइवेट बैंकों में कुल विदेशी भागीदारी 74% तक हो सकती है। इसमें प्रत्येक यूनिट की हिस्सेदारी 15% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। FDI नियमों के मुताबिक कोई भी विदेशी बैंक को भारतीय बैंक में नियंत्रण हिस्सेदारी लेने की अनुमति नहीं है। हालांकि कुछ मामले अपवाद हैं। साल 2018 में भारतीय मूल के कनाडाई बैंकर प्रेम वत्स की कंपनी फेयरफैक्स ने कैथोलिक सीरियन बैंक में 51% हिस्सेदारी हासिल की थी।