बोलता गांव डेस्क।।
जब बात जायका और खुशबु की हो तो नगरी दुबराज का नाम सामने आता है। जैविक पद्धति से तैयार होने वाले इस धान को पिछले लगभग 200 सालों से महानदी के तलहटी में किसान लगाते आए हैं। पिछले साल इसे जीआई टैग भी मिला है, जिससे फसल की ख्याति दूर-दूर तक पहुंची है। वनांचल नगरी के फरसियां के किसान माधुरी लाल कश्यप भी उन किसानों में से एक हैं, जो पिछले आठ सालों से नगरी दुबराज की खेती करते आए हैं। उन्होंने बताया कि नगरी दुबराज को जीआई टैग मिलने से यह फायदा हो रहा है कि फसल पकने के पहले ही लोग दूर-दूर से उनसे सम्पर्क साध रहे हैं और धान एवं चावल की डिमांड रख रहे हैं।
कश्यप आगे बताते हैं कि पहले जहां नगरी दुबराज धान 30 रूपये प्रति किलो में बिकता था, अब 50 रूपये प्रति किलो में बिकने लगा है। नगरी दुबराज चावल की कीमत में भी इजाफा हुआ है और वह 75 रूपये से बढ़कर 85 रूपये प्रति किलो में बिकने लगा है। फसल बिक्री के लिए अब वे स्थानीय बाजार पर ही निर्भर नहीं हैं और ना ही उन्हें इस बात की चिंता है कि उनकी फसल की सही कीमत उन्हें मिलेगी कि नहीं। गौरतलब है कि माधुरीलाल कश्यप अपनी एक एकड़ के क्षेत्र में नगरी दुबराज की फसल लगाए हैं। कृषि विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन में कतार रोपाई सहित उन्हें दस किलो उन्नत बीज, दो बोरी जैविक खाद और जैविक कीटनाशक, दवाईयां, वृद्धि वर्धक इत्यादि मिला।
इसके अलावा सुगंधित धान लगाने से उन्हें राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत आदान सहायता के रूप में दस हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि मिलेगी। इससे उन्हें और आर्थिक लाभ मिलेगा। इसके लिए उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आभार भी खुशी खुशी जताया है। माधुरी लाल के जैसे ही जिले के 180 किसान 180 एकड़ क्षेत्र में नगरी दुबराज की फसल ले रहे हैं। नगरी दुबराज को जीआई टैग मिलने के बाद निशिं्चत ही इन सभी किसानों को काफी फायदा हो रहा है।