बोलता गांव डेस्क।।
छग बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में राकांपा नेता रामावतार जग्गी हत्याकांड के 30 आरोपियों की अपील को ख़ारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस अरविंद वर्मा डिवीजन बेंच ने उनकी आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। निचली अदालत के फैसले को बरकरार करते हुए आरोपीगणों को अपनी सजा काटने के लिए 7 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करना होगा वरना पुलिस इस मामले से जुड़े सभी आरोपियों को हिरासत में लेगी।
माननीय हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी समाचार के साथ संग्लन है। इस मामलें की सुनवाई इसी साल फरवरी में 29 तारीख को उच्च न्यायालय में हुई थी जिसका फैसला 4 अप्रैल 2024 को आया है। यह हत्याकांड का मामला कांग्रेस की जोगी सरकार के चला चली के समय साल 2003 का है। जिसमें 31 आरोपी बनाए गए थे। सभी आरोपियों को अपनी सजा की माफ़ी के लिए और जेल जाने से बचने के लिए सर्वोच्च न्यायलय में SLP पिटीशन लगानी पड़ेगी तथा कारावास में सरेंडर करने लिए छूट के लिए अपील करने पड़ेगी।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा के डीविजन बेंच ने बीते 29 फरवरी को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(राकांपा) के नेता स्व रामावतार जग्गी हत्याकांड के आरोपियों की अपील पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था, जिस पर गुरुवार को आदेश जारी किया गया है। बता दें कि 4 जून 2003 को एनसीपी नेता रामावतार जग्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 31 आरोपी बनाए गए थे। जिनमें से दो बल्टू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे। अमित जोगी को छोड़कर बाकी 28 लोगों को सजा मिली थी। हालांकि बाद में अमित जोगी बरी हो गए थे।