बोलता गांव डेस्क।।
दुनिया के सबसे अमीर शख्स बने एलन मस्क अपने नए-नए प्रयोगों के चलते अक्सर चर्चा में रहते हैं। मगर इस बार एक ऐसे ही नए प्रयोग ने उनकी मुसीबत को बढ़ा दिया है। दरअसल एलन मस्क ने अभी कुछ दिनों पहले ही ट्विटर का नाम बदलकर एक्स (x) कर दिया था। अब फ्रांस की अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी ‘एएफपी’ ने एलन मस्क पर कॉपीराइट का मुकदमा कर दिया है। एएफपी ने कहा है कि उसने अपनी समाचार सामग्री के लिए संभावित भुगतान को सुरक्षित करने के प्रयास में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ के खिलाफ कॉपीराइट का मुकदमा किया है। ‘एक्स’ को पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था।
समाचार एजेंसी ने कहा कि उसने एलन मस्क की कंपनी को डेटा प्रदान करने के लिए मजबूर करने को लेकर बुधवार को पेरिस की अदालत में याचिका दायर की, जिसके अनुसार ‘‘एजेंसी फ्रांस-प्रेसे (एएफपी) को बकाया भुगतान का आकलन करने की आवश्यकता है।’’ समाचार एजेंसी ‘एएफपी’ ने एक बयान में कानूनी कार्रवाई की घोषणा की। एजेंसी ने कहा कि वह यूरोपीय संघ (ईयू) के बौद्धिक संपदा नियमों के तहत भुगतान किए जाने की मांग कर रहा है। ये नियम ‘नेबरिंग राइट्स’ को कवर करता है, जो समाचार संस्थान और प्रकाशकों को उनका कंटेंट (विषयवस्तु) साझा करने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म से भुगतान लेने की अनुमति देता है। फ्रांस 2019 में इन नियमों को राष्ट्रीय कानून में शामिल करने वाला ईयू का पहला देश था।
ट्विटर के खिलाफ कार्रवाई को एएफपी ने बताया प्रतिबद्धता
समाचार एजेंसी ने कहा, ‘‘प्रेस के लिए ‘नेबरिंग राइट्स’ को अपनाने के मुखर पैरोकार के रूप में एएफपी इस मुद्दे के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ है।’’ ‘एएफपी’ ने ट्विटर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को ‘‘अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप’’ बताया है। ‘एएफपी’ ने कहा कि वह ‘‘समाचार सामग्री साझा करने से उत्पन्न राजस्व का उचित वितरण सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक प्रासंगिक मंच के साथ उचित कानूनी साधनों का इस्तेमाल करना जारी रखेगी।’’ एजेंसी के बयान में दावा किया गया है कि कॉपीराइट सुरक्षा पर चर्चा करने के लिए ‘एक्स’ ने ‘‘साफ तौर से इनकार’’ कर दिया है।
बयान के अनुसार, जो समाचार एजेंसियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से मुआवजा मांगने की अनुमति देता है। मस्क ने एक ट्वीट में मामले को ‘‘अजीब’’ बताया। उन्होंने कहा, ‘‘वे चाहते हैं कि हम उनकी साइट पर ट्रैफिक के लिए उन्हें भुगतान करें, जबकि वे विज्ञापन से राजस्व कमाते हैं, हमें तो यह नहीं मिलता।’’ विज्ञापन राजस्व डिजिटल कंपनियों के पास जाने से पत्रकारिता की गुणवत्ता में आ रही गिरावट को लेकर चिंता के बीच समाचार कंपनियां ईयू के कॉपीराइट सुधार की पैरवी कर रही हैं।