उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी ने बड़ा ऐलान किया है. कांग्रेस ने 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने की बात कही है.
लेकिन अगर हम राजनीति से इतर अगर देखें तो ये वक्त की मांग है
ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2021 के अनुसार, राजनीतिक सशक्तीकरण सूचकांक में भारत के प्रदर्शन में गिरावट आई है और साथ ही महिला मंत्रियों की संख्या वर्ष 2019 के 23.1% से घटकर वर्ष 2021 में 9.1% तक पहुँच गई है। तो वहीँ सरकार के आर्थिक सर्वेक्षणों में भी यह माना जाता है कि लोकसभा और विधानसभाओं में महिला प्रतिनिधियों की संख्या बहुत कम है। ये देश के लिए चिंता का विषय होगा चाहिए
इस भयाभय स्थिति देख हर राजनीति पार्टी को महिलाओं के प्रवेश हेतु अपने आंतरिक ढाँचे को महिला अनुकूल बनाना चाहिये। अगर देश में महिला राजनीतिक सशक्तीकरण बढेगा तो महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता, अधिकार, महिलाओं के आत्म प्रतिनिधित्व और आत्मनिर्णय का अधिकार बढेगा
समाजिक बदलाव :
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- महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता।
- महिलाओं को उनकी क्षमता के पूर्ण विकास का अधिकार।
- महिलाओं के आत्म प्रतिनिधित्व और आत्मनिर्णय का अधिकार।
- राजनीतिक निर्णयन प्रकिया में लैंगिककता संबंधी एक महत्त्वपूर्ण अंतर विद्यमान है, ऐसे में किशोर लड़कियों को राष्ट्र निर्माण में योगदान करने के लिये प्रेरित करने हेतु महिला नेताओं को आगे आने की आवश्यकता है।