बिलासपुर: कहा जाता है चिकित्सा पेशा नहीं बल्कि सेवा होता है. इसी बात को छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर की वन्दना हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने चरितार्थ किया है. कई छोटे छोटे हॉस्पिटल ऐसे भी मौजूद है जो आज छोटे छोटे ऑपरेशन के नाम पर लाखों गटक जाते है लेकिन इस मक्कारी भरी दुनिया मे आज भी ऐसे लोग है जो आदर्शो को पैसों से ऊपर समझते है.
असम के करीमगंज में रहने वाले एक मजदूर परिवार के घर डेढ़ साल पहले बच्चे का जन्म हुआ, जन्म के बाद से ही बच्चे के सर के पीछे एक गठान थी, जो धीरे धीरे बढ़ने लगी थी, जिसे देखते हुए उसके माता/पिता सुनीता और शंकर बहुत चिंतित थे, और अपने बच्चे आनंद के इलाज के लिए स्थानीय और असम मेडिकल कॉलेज में संपर्क किया, पर यहाँ उसका इलाज संभव नही होने की बात कहते हुए उन्हें दिल्ली एम्स रिफर कर दिया गया।
पर बच्चे के माता पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नही होने के कारण वे दिल्ली नही जा पा रहें थे, और जैसे समय बीतते जा रहा था, वैसे वैसे बच्चे के पीछे की सर की गठान बढ़ते जा रही थी, वही जैसे तैसे उन्हें आर्थिक मदद मिली और वे तत्काल दिल्ली एम्स पहुंच गए और कई दिनों तक एम्स के चक्कर काटने के बाद उन्हें जून 2022 को ऑपरेशन की डेट दी गई, पर इस हालत में इतने दिनों तक जीवित रहना पाना आनंद के लिए नामुमकिन सा था, क्योंकि बच्चे के सिर के पीछे की गठन बड़ा स्वरूप लेते हुए सर का रूप ले लिया और आनंद के अलग से दो सर नज़र आने लगे.. परेशान परिजन इलाज के लिए इधर उधर भटकते रहें।
इसी दौरान बच्चे के दादा का संपर्क डॉक्टर विजय के पिता डीएस पत्रे से हुआ, जिसके बाद उन्होंने आनंद के विषय में डॉ विजय कुमार से चर्चा की और बच्चे के दादा की कहानी सुनने के बाद उन्होंने आनंद को बिलासपुर लाने की सलाह दी और जितना हो सके उनका सहयोग किया, जिनकी सहायता से आनंद के माता पिता बिलासपुर स्थित वंदना हॉस्पिटल पहुंचे, जहां डॉ विजय कुमार और उनकी टीम ने बच्चे आनंद को हॉस्पिटल में भर्ती कर परीक्षण किया..
इस दौरान जटिल एवं मेजर ऑपरेशन की तैयारी की गई इस ऑपरेशन में बच्चे की जान को खतरा था क्योंकि बच्चे की सबसे बड़ी समस्या उसका दो सिर होना था, जिससे एक सर को अलग करना काफी जोखिम भरा था,पर न्यूरो सर्जन डॉ विजय कुमार, डॉक्टर भूषण सिंह डॉ शशांक समेत अन्य विशेषज्ञों की टीम द्वारा इस सफल ऑपरेशन को अंजाम दिया गया।