विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने सोमवार को कहा है कि कोविड-19 महामारी अब भी एक वैश्विक स्वास्थ्य ख़तरा है और अभी इस महामारी की समाप्ति की घोषणा करने का सही समय नहीं है.
https://twitter.com/WHO/status/1620061769132830723?s=20&t=tKKF93O3NoMuJSAvtx4V7w
समिति ने कहा है, “इसमें बहुत कम सन्देह है कि ये वायरस निकट भविष्य में, इनसानों और पशुओं के शरीरों में, एक स्थाई रूप से स्थापित पैथोजेन के रूप में मौजूद रहेगा.”
कोविड-19 को अन्तरराष्ट्रीय स्तर वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा घोषित किए हुए तीन वर्ष पूरे हो रहे हैं. ये वायरस पहली बार 31 दिसम्बर 2019 को चीन के वूहान में दर्ज किया गया था
https://twitter.com/WHO/status/1620071911148650499?s=20&t=K-9OjKQmkuGrK4CnIxJ_YA
अब भी जानलेवा
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक ने कहा कि वैसे तो दुनिया, एक वर्ष पहले ओमिक्रॉन के संक्रमण में उछाल की तुलना में, इस समय बेहतर स्थान है, मगर पिछले क़रीब आठ सप्ताहों में, दुनिया भर में कोविड-19 से सम्बन्धित एक लाख 70 हज़ार से भी ज़्यादा मौतें दर्ज की गई हैं.
डॉक्टर टैड्रॉस ने ध्यान दिलाया कि एक बार फिर कोरोनावयरस की निगरानी और अनुवंशिक सीक्वेंसिंग में, वैश्विक स्तर पर कमी आई है, जिससे इस वायरस के ज्ञात प्रकारों पर नज़र रखना और नए रूपों का पता लगाना मुश्किल हो रहा है.
उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्थाएँ अब भी कोविड-19 और फ़्लू व साँस सम्बन्धी संक्रमणों के अन्य मरीज़ों की भारी संख्या का सामना कर रही हैं, जबकि उनके पास स्टाफ़ की भारी क़िल्लत है और स्वास्थ्य कर्मी बहुत थके हुए हैं
वैक्सीन की अहमियत
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख ने ज़ोर देकर ये भी कहा कि इस गम्भीर बीमारी की रोकथाम में, वैक्सीन, चिकित्सा और निदान की भूमिका अब भी अति महत्वपूर्ण बनी हुई है. इनकी सहायता से दुनिया भर में, स्वास्थ्य प्रणालियों व स्वास्थ्यकर्मियों से दबाव हट रहा है और ज़िन्दगियाँ बचाई जा रही हैं.
उन्होंने कहा कि इन उपायों की सार्थकता साबित होने के बावजूद, अनेक देशों में कोविड-19 का सामना करने की कार्रवाई अब भी पंगु है, क्योंकि ये देश अपनी सबसे ज़्यादा ज़रूरत वाली आबादी, वृद्धजन और स्वास्थ्यकर्मियों को ये उपकरण मुहैया कराने में नाकाम हैं.
WHO के अनुसार, दुनिया भर में कोविड-19 के संक्रमण के पुष्ट मामलों की संख्या लगभग 75 करोड़, 25 लाख है, जिनमें लगभग 68 लाख लोगों की मौत हो चुकी है.
आपात कोविड समिति की, WHO में हुई बैठक में प्रतिभागियों ने सुना कि वैश्विक स्तर पर, कोविड-19 की वैक्सीनों की लगभग 13.1 अरब ख़ुराकें लगाई जा चुकी हैं.
समिति के सदस्यों ने निम्न व मध्यम आय वाले देशों में और दुनिया भर में उच्चतम जोखिम वाले समूहों में, वैक्सीन ख़ुराकों की अपर्याप्त उपलब्धता के बारे में चिन्ता व्यक्त की. साथ ही, वायरस के उभरते प्रकारों से सम्बन्धित अनिश्चितता पर भी चिन्ता जताई गई है
महामारी की थकावट
समिति ने ये भी रेखांकित किया है कि महामारी की थकावट और कम जोखिम के विचार के कारण, लोग अब सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक उपायों का कम प्रयोग कर रहे हैं, जिनमें चेहरे पर मास्क पहनने और दूरी बरतने जैसे उपाय शामिल हैं.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी अपनी सिफ़ारिशों में, देशों से सतर्कता बरने और निगरानी व जैनोमिक सीक्वेंसिंग सम्बन्धी डेटा, एजेंसी तक पहुँचाना जारी रखने का आग्रह किया है.
WHO की मीटिंग में बताया गया कि जहाँ ज़रूरत हो वहाँ, उपयुक्त रूप से लक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक उपायों का प्रयोग किया जाना चाहिए, और इस बीमारी की गम्भीरता व मृत्यु संख्या को कम करने के लिए, बेहद निर्बल समुदायों का टीकाकरण किया जाए.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा है कि कोविड-19 के बारे में लोगों की चिन्ताओं के जवाब दिया जाना अति महत्वपूर्ण है कि ऐसे रोकथाम उपाय लागू करना क्यों अहम है जो, कोरोनावायरस को हाशिए पर रखेंगे.
आपात समिति ने बताया कि दुनिया भर में अलबत्ता ओमिक्रॉन प्रकारों का संक्रमण फैलाव बहुत उच्च स्तर पर है, मगर संक्रमण का मतलब ये नहीं है कि उससे गम्भीर बीमारी होगी ही, जबकि पहले के वैरिएंट ख़ासे चिन्ताजनक थे