छत्तीसगढ़िया ओलंपिक: परम्परागत खेलों से जुड़ते लोग Featured

बोलता गांव डेस्क।।

छत्तीसगढ़िया ओलंपिक पूरे राज्य में शुरू हो गया है। त्यौहारों के इस खुशनुमा माहौल में युवा से लेकर बुजुर्ग इन खेलों में उत्साह से हिस्सा ले रहे हैं। एक तरफ प्रकृति की हरियाली वहीं दूसरी ओर फसल के रूप में प्रकृति का उपहार इस उत्साह को कई गुना बढ़ा रहा है। पहली बार छत्तीसगढ़ में आयोजित हो रहे इन खेलों में लोगों का जुड़ाव स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है।

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छत्तीसगढ़ में इन खेलों के प्रति रूचि इस बात से पता चल रही है कि इन खेलों में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को अपना बचपन और युवावस्था फिर से याद आने लगा है। हमारी संस्कृति में परम्परागत खेल रचे बसे हैं। यहां के लोक जीवन में ये खेल न केवल मनोरंजन का जरिया हैं बल्कि ये शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही हमें ताजगी और स्फूर्ति भी देते हैं। पिट्टुल, गिल्ली -डंडा, खो-खो, कबडडी जैसे खेल यहां गांव-गांव खेले जाते हैं।

 

इनमें खो-खो और कबड्डी के खेल में खिलाड़ियों की चुश्ती और फुर्ती देखते ही बनती है। वहीं बालिकाओं और महिलाओं में फुगड़ी का खेल अत्यंत लोकप्रिय है। छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में उन खेलों को शामिल किया गया है जो यहां परम्परागत रूप से गांवों-और शहरों में खेले जाते हैं। लोक रूचि के इन खेलों को नई पहचान दिलाने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर इस खेल प्रतियोगिता की रूप रेखा तैयार की गई। कैबिनेट की मंजूरी के साथ ही इन खेलों के आयोजन का किया जा रहा है। इस आयोजन में लोक रूचि के 14 परंपरागत खेलों को शामिल किया गया है।

 

पूरे तीन महीने यानी 6 अक्टूबर से 6 जनवरी 2023 तक गांव से लेकर शहर तक पूरा छत्तीसगढ़ खेल मय रहेगा। परम्परागत खेलों के आयोजन से यहां नई खेल संस्कृति भी विकसित होगी। इस आयोजन से जहां खेल के प्रति जगरूकता आएगी वहीं खेल के क्षेत्र में नई प्रतिभाओं को आगे आने का अवसर मिलेगा। लोक रूचि और लोक महत्व के इस आयोजन से छत्तीसगढ़ देश में एक नई खेल ताकत के रूप में उभर कर सामने आएगा।

 

छत्तीसगढ़ में खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेलबो-जीतबो गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का नारा भी दिया गया है। छत्तीसगढ़ नई खेल क्रांति की ओर बढ़ रहा है। आने वाले वर्षों में यह प्रदेश को खेल गढ़ के रूप में नई पहचान मिलेगी इसकी शुरूआत हो चुकी है। गुजरात में चल रहे 36वें नेशनल गेम में आकर्षी कश्यप गोल्ड मेडल जीत कर यहां के बेडमिंटन खिलाडियों को नई पहचान दी है। गुजरात में आयोजित 36 वीं राष्ट्रीय खेल में पहला गोल्ड मैडल स्केटिंग स्पर्धा में अमितेष मिश्रा ने जीता है। छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी अब तक 7 मेडल जीत चुके हैं। जिसमें दो गोल्ड, 3 सिल्वर और दो कांस्य पदक शामिल है।

 

छः चरणों में होने जा रहा छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के हर चरण में उम्मीद है कि लोगों का जुनून देखने को मिलेगा। इस प्रतियोगिता का अंतिम चरण राज्य स्तरीय होगा। राजीव गांधी युवा मितान क्लब स्तर पर चल रही इस खेल प्रतियोगिता में हार-जीत से बढ़कर खेल भावना भी दिख रही है।

 

कई वाकया ऐसे भी नजर आए कि दो सगे भाई और दो मितान एक दूसरे के खिलाफ खेले और खेल समाप्त होते ही गले मिल कर एक-दूसरे को बधाई दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ में लगातार खेल सुविधाओं में इजाफा हो रहा है। नई-नई अकादमियां प्रारंभ हो रही हैं वहीं नई अधोसंरचना पर भी काम हो रहा है।

 

तीरंदाजी, हॉकी, बेडमिटन की अकादमी सभी के लिए पहल की गई है। यहां न सिर्फ खेल सुविधाएं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जा रही है। हाल में ही बेडमिटन और शतरंज की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई जिसमें देश के खिलाडियों के साथ ही अंतराष्ट्रीय खिलाड़ियों ने भी भाग लिया। इसके साथ यहां क्रिकेट की रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।

 

 

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