Bihar Flood: बिहार में हर साल बाढ़ की तबाही देखने को मिलती है. खास कर नेपाल से सटे और मिथिलांचल के इलाकों में, ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या हर साल मिथिला में आने वाली बाढ़ की त्रासदी की वजह सालो पहले इलाके में बने जमींदारी बांध है
बिहार में मिथिलांचल का बड़ा इलाका हर साल नेपाल से आने वाली (Bihar Flood) नदियों की वजह से बाढ़ की त्रासदी झेलने को मजबूर होता है. बिहार सरकार अपने स्तर से इस त्रासदी को रोकने की कोशिश तो करती है लेकिन बावजूद इसके हर साल मिथिला का बड़ा इलाक़ा बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है. ऐसे तो मिथिला के बड़े इलाक़े में बाढ़ से तबाही के कई कारण हैं लेकिन कुछ महत्वपूर्ण कारणों की वजह से बाढ़ की समस्या होती है. उसमे से एक प्रमुख कारण है मिथिला में बना सालों पुराना जमींदारी बांध.
जमींदारी बांध की वजह से भी हर साल मिथिला का बड़ा इलाक़ा बाढ़ से प्रभावित हो जाता है. दरअसल जमींदारी बांध है क्या, वो जानना भी बेहद जरूरी है और इसका निर्माण किसने और क्यों करवाया था, ये जानना भी जरूरी है. कई साल पहले जब जमींदारी प्रथा थी उस वक़्त बड़े बड़े जमींदारों ने अपने-अपने जमींदारी के अंदर आने वाले गांवो को बाढ़ से बचाने के लिए नदी के किनारे किनारे जो बांध का निर्माण करवाया उसे ही जमींदारी बांध कहते हैं, लेकिन जिस वक्त जमींदारी बांध का निर्माण हुआ था उस वक़्त नदियों की चौड़ाई और गहराई काफी हुआ करती थीं.
बाढ़ आने की वजह
बाद में धीरे-धीरे नदियों में गाद की समस्या के साथ साथ चौड़ाई तो बढ़ती गई लेकिन गहराई घटती चली गई. इसकी वजह से मॉनसून में जब नदियों का जल स्तर बढ़ता है तो जमींदारी बांध पर दबाव बढ़ता जाता है और जिससे जमींदारी बांध कई बार रोकने में असफल हो जाती है और नतीजा ये होता है कि जमींदारी बांध कई बार टूट भी जाता है, जिससे भारी तबाही हो जाती है. इसके कमजोर होने के पीछे एक वजह ये भी है कि इसकी चौड़ाई और लम्बाई दोनों कम होती है. जल संसाधन मंत्री संजय झा जिनके सामने मिथिला में बाढ़ को रोकने की बड़ी जिम्मेदारी है, वो भी जमींदारी बांध की वजह से चिंतित हैं
क्या है दिक्कतें
दरअसल जमींदारी बांध को मजबूत करने के लिए इसके चौड़ीकरण के साथ-साथ ऊंचाई भी बढ़ानी होगी लेकिन इसके लिए जमीन अधिग्रहण के साथ-साथ ऊंचाई बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर अगल-बगल से मिट्टी की जरुरत भी पड़ेगी. ऐसे में इसका होना इतना आसान नहीं है. कई बार ग्रामीण इसके लिए तैयार नहीं होते हैं और इस काम में राजस्व भी काफी लगता है. ये तमाम समस्याओं को देखते हुए जल संसाधन विभाग की कोशिश है कि बहुत जल्द जमींदारी बांध को लेकर एक ठोस नीति बनाए ताकि जमींदारी बांध की मजबूती हो सके और मिथिला के इलाके बाढ़ से कम से कम प्रभावित हो सकें.