छत्तीसगढ़ में पढ़ना-लिखना अभियान के अंतर्गत बच्चों के साथ-साथ अब पालकों को भी बुनियादी साक्षरता प्रदान कर शिक्षा की मुख्यधारा में जोड़ा जाएगा। शैक्षणिक संस्थाओं के बंद होने के कारण बच्चों को शिक्षित करने पालकों की जिम्मेदारी अब बढ़ गई है। प्रथम चरण में अशिक्षित पालकों को शिक्षित किया जाएगा। अब बालक और पालक मिलकर पढेंगे मोहल्ला क्लास।
अशिक्षित पालकों को शिक्षित करने के लिए बनायी गई रणनीति-
राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण द्वारा 17 व 18 जून को आयोजित राज्य स्तरीय वेबीनार में अशिक्षित पालकों को शिक्षित करने के लिए बनायी गई रणनीति के संबंध में विषय विशेषज्ञों के साथ प्रदेश के सभी जिलों के ब्लॉक, नगरीय, संकुल, ग्राम पंचायत और वार्ड प्रभारियों को सीधे रूबरू होकर चर्चा की गई। इन दो दिनों की चर्चा में 10 हजार से अधिक लोगों ने यू-ट्यूब के माध्यम से भाग लिया।
सुदूर वनांचल में युवाओं की परीक्षाओं की तैयारी के लिए बेहतर सुविधाएं
देश की प्रगति और विकास में अपना योगदान कर कुछ कर गुजरने की चाहत हर युवा में होती है। आज के इस प्रतियोगी दौर में हर युवा चाहता है कि वो दूसरों से दो कदम आगे रहे जिसके लिए वे निरंतर अथक प्रयास में जुटे रहते हैं। प्रदेश के अंतिम छोर में घने जंगल, नदी, पहाड़ से घिरे सुकमा जिले के युवाओं में भी यह ललक है। कोई प्रशासनिक अधिकारी बन कर समाज को बेहतर करना चाहता है तो कोई डॉक्टर या इंजीनियर बन कर देश हित में अपना योगदान देना चाहता है। सुकमा में भी ऐसे युवाओं की बहुतायत है जो ऐसे विभिन्न उच्च पदों पर काबिज होकर अपना जीवन देश, प्रदेश और समाज के उत्थान में लगाना चाहते हैं। लंबे समय से नक्सल हिंसा से पीड़ित होने के कारण यहां विकास की गति धीमी रही है।
पर अब सुकमा जिला के युवा अब अपना अधिकांश समय ग्रंथालय में किताबों की बीच बिताने लगे हैं। 60.41 लाख की लागत से बने इस ग्रन्थालय में विभिन्न विषयों की लगभग 3000 पुस्तकों के साथ ही 06 कम्प्युटर भी हैं ताकि छात्र किताबों से परे देश विदेश की जानकारी इन्टरनेट के माध्यम से पा सके। संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा की तैयारी कर रहे