श्रीलंका में हालात बेकाबू, राष्ट्रपति भवन में घुसे प्रदर्शनकारी, राष्ट्रपति राजपक्षे भागने को हुए मजबूर… Featured

बोलता गांव डेस्क।।IMG 20220709 173036

आर्थिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. हालात से परेशान प्रदर्शनकारी शनिवार को राष्ट्रपति गोटाबये राजपक्षे से इस्तीफे की मांग करते हुए राष्ट्रपति भवन में घुस गए. स्थिति को देखते हुए राष्ट्रपति राजपक्षे आधिकारिक निवास छोड़कर भाग गए.

 

श्रीलंका की सेना राष्ट्रपति गोटाबये को सुरक्षित स्थान पर ले गई है. इसके पहले राष्ट्रपति भवन में घुसने से रोकने के लिए प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. लेकिन प्रदर्शनकारियों की तादात इतनी थी कि पुलिस का विरोध ज्यादा देर के लिए नहीं टिक पाया. दूसरी ओर देश में बिगड़ते हालात को देखते हुए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने देश की स्थिति के समाधान पर चर्चा करने के लिए पार्टी नेताओं की आपात बैठक बुलाई है. इसके साथ ही वह अध्यक्ष से संसद का सत्र आहूत करने की बात कह रहे हैं.

 

यहां इस लिंक पर देखें वीडियो...

https://twitter.com/INC_Television/status/1545692972917739520?s=20&t=3y9SzpnLH8KSHNUUdt4J2g

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बता दें कि श्रीलंका में शीर्ष वकीलों के संघ, मानवाधिकार समूहों और राजनीतिक दलों के लगातार बढ़ते दबाव के बाद पुलिस ने शनिवार को सरकार विरोधी प्रदर्शनों से पहले कर्फ्यू हटा लिया था. यह कर्फ्यू सरकार विरोधी प्रदर्शनों को रोकने के लिए कोलंबो सहित देश के पश्चिमी प्रांत में सात संभागों में लगाया गया था. जिन प्रांत में कर्फ्यू लगाया गया था, उनमें नेगोंबो, केलानिया, नुगेगोडा, माउंट लाविनिया, उत्तरी कोलंबो, दक्षिण कोलंबो और कोलंबो सेंट्रल शामिल हैं. यह कर्फ्यू शुक्रवार रात नौ बजे से अगली सूचना तक लागू किया गया था.

यहां इस लिंक पर देखें वीडियो...

https://twitter.com/ZakirAliTyagi/status/1545692237253582849?s=20&t=WZapYdFv-ywBsoiw2Ol2mA

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पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) सीडी विक्रमरत्ने ने शुक्रवार को घोषणा करते हुए कहा था कि जिन क्षेत्रों में पुलिस कर्फ्यू लागू किया गया है, वहां रहने वाले लोगों को अपने घरों में ही रहना चाहिए और कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. लेकिन श्रीलंका के बार एसोसिएशन ने पुलिस कर्फ्यू का विरोध करते हुए इसे अवैध और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करार दिया. श्रीलंका के मानवाधिकार आयोग ने भी पुलिस कर्फ्यू को मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन बताया था.

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