बोलता गांव डेस्क।।
मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) कार्यों के अंतर्गत अब गांवों में बायो-गैस संयंत्र भी स्थापित किए जा सकेंगे। भारत सरकार ने हितग्राहियों की निजी भूमि पर बनने वाले बायो-गैस संयंत्र की संपूर्ण लागत तथा सामुदायिक उपयोग के लिए स्थापित किए जाने वाले संयंत्रों में लेबर वर्क (मजदूरी लागत) को मनरेगा कार्यों में शामिल किया है।
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा भारत के राजपत्र में इस संबंध में अधिसूचना का प्रकाशन कर दिया गया है।
मनरेगा के अंतर्गत निजी भूमि में बायो-गैस संयंत्र की स्थापना के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, घुमन्तू जनजाति, अधिसूचना से निकाली गई जनजातियां, सामाजिक-आर्थिक एवं जाति जनगणना-2011 की सर्वे सूची में स्वतः शामिल सूचकांक के आधार पर गरीब परिवार के रुप में शामिल तथा ऐसे परिवार जो किसी न किसी वंचन सूचकांक में शामिल हैं, महिला मुखिया वाले परिवार, दिव्यांग मुखिया वाले परिवार, भूमि सुधार के लाभार्थी, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लाभार्थी, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकार मान्यता) अधिनियम-2006 के लाभार्थी तथा लघु एवं सीमांत किसान परिवार प्राथमिकता के क्रम में होंगे।