परिचय
वर्तिका नंदा: जेल सुधारक, लेखक
देश की स्थापित जेल सुधारक और एक अनूठी श्रृंखला- तिनका तिनका- की संस्थापक. उनकी तीन किताबें- तिनका तिनका तिहाड़, तिनका तिनका डासना और तिनका तिनका मध्यप्रदेश जेलों की कहानी कहती हैं. सुप्रीम कोर्ट की जेलों की स्थिति की सुनवाई का भी हिस्सा बनीं. खास प्रयोगों के चलते महिलाओं के लिए देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान स्त्री शक्ति पुरस्कार से भारत के राष्ट्रपति से सम्मानित. दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल. दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज के पत्रकारिता विभाग में अध्यापन
झांसी की रानी का शौर्य जेल में बैठ लिखा सुभद्रा कुमारी चौहान ने
सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी,गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।
इन पंक्तियों के ज़रिए पूरे देश में हर बच्चे के मानस में रची-बसी हैं-झांसी की रानी। शौर्य की मिसाल झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की आज पुण्यतिथि है। बहुत कम लोग जानते होंगे कि इन पंक्तियों को सुभद्रा कुमारी चौहान ने लिखा था और झांसी की रानी की यही कविता उनकी कीर्ति का आधार स्तंभ बनी। इस कविता का यह असर था कि झांसी की रानी की वीरता का आम महिलाओं तक भी प्रसार हुआ। उनका इस्तेमाल किया गया शब्द '’मर्दानी’' ऐतिहासिक बन गया। बहुत कम लोगों को इस बात का इल्म होगा कि सुभद्रा कुमारी चौहान ने इस कविता को जेल में रहते हुए लिखा था। वर्ष 1930 में प्रकाशित अपनी एक किताब “मुकुल’ की प्रस्तावना की में सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपनी जेल यात्राओं का ज़िक्र किया है और इसके अंत में जबलपुर जेल का ही पता लिखा है जहां वे बंद थी। प्रस्तावना में इसकी तारीख 30 नवम्बर, 1930 है। जेल की कोठरी में बैठकर सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपने लेखन से राष्ट्रभक्ति की अलख जगाई।
झांसी की रानी की वीरता की यह शौर्यगाथा और सुभद्रा कुमारी चौहान की पंक्तियों की ओजस्वता तिनका तिनका मध्य प्रदेश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज इस अवसर पर तिनका तिनका मध्य प्रदेश से एक विशेष तस्वीर साझा कर रही हूं जिसे ग्वालियर की जेल में लिया गया था।
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