बजट के 1 लाख करोड़ तक पहुंचने की वजह: छत्तीसगढ़ में 2001 में 5 हजार 700 करोड़ रुपए का पहला बजट आया था, इस बार करीब 20 गुना ज्यादा Featured

बोलता गांव डेस्क।।

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मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बने 21 साल से अधिक हो गए। अब प्रदेश की आकांक्षाएं कुलांचे मार रही है। इस साल वार्षिक बजट का आकार एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का बताया जा रहा है। लेकिन इसकी कहानी शुरू हुई थी 5 हजार 700 करोड़ रुपए की मामूली राशि से। 2001 में इतनी राशि का पहला बजट आया था।

 

 

छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी बताते हैं, नवम्बर 2000 में छत्तीसगढ़ की पहली सरकार ने कामकाज संभाला। नया राज्य था, लोगों को बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन राज्य के पास आय के पर्याप्त साधन नहीं थे। सरकार का कामकाज चलाने के लिए पहले वित्त मंत्री रामचंद्र सिंहदेव ने करीब 1300 करोड़ रुपए का अंतरिम बजट पेश किया था। बाद में 2001-02 के लिए आम बजट आया। उसका आकार करीब 5 हजार 700 करोड़ रुपए था।

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शैलेश नितिन त्रिवेदी बताते हैं, वित्त मंत्री रामचंद्र सिंहदेव ने विपरीत परिस्थितियों में भी कड़ाई से वित्तीय अनुशासन का पालन किया। इसकी वजह से सरकार पर कोई वित्तीय भार नहीं बढ़ा। जब कांग्रेस सरकार ने अपना कामकाज पूरा किया ताे राज्य में पैसा सरप्लस था। राज्य पर कोई कर्ज नहीं था। त्रिवेदी का कहना है, बाद में भाजपा सरकार में वित्तीय अनुशासन की धज्जियां उड़ाकर बजट का आकार बढ़ता गया। पूर्ववर्ती सरकार का पूरा ध्यान इमारतें बनाने पर था। अब जबसे कांग्रेस की नई सरकार आई है, तबसे दिशा बदली है। पुरखो ने जिस छत्तीसगढ़ का सपना देखा था सरकार उस दिशा में काम कर रही है।

 

2003-04 के बजट में आया था सबसे बड़ा उछला

 

पिछले 20 सालों के बजट में सबसे बड़ा उछाल 2003-04 के बजट में अाया। कांग्रेस की पहली सरकार के आखिरी बजट में 9 हजार 270 करोड़ रुपए की व्यवस्था थी। यह पिछले बजट से 35% अधिक राशि थी। उसके बाद 2011-12 और 2014-15 में 24-24% की वृद्धि देखी गई है। इसकी वजह से आखिरी एक दशक में बजट का आकार 24 हजार करोड़ से 96 हजार करोड़ तक पहुंच गया।

 

इन तीन क्षेत्रों में सबसे अधिक निवेश

 

रायपुर स्थित पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. रविंद्र ब्रम्हे कहते हैं, पिछले कुछ वर्षों के बजट को देखें तो सरकार कृषि, स्वास्थ्य और शहरी व ग्रामीण विकास की योजनाओं पर अधिक खर्च करती रही हैं। मौजूदा सरकार ने अपने तीन बजट में शिक्षा, खेल एवं युवा कल्याण, कला और संस्कृति पर सबसे अधिक पैसा दिया है। उसके बाद कृषि और संबद्ध सेवाओं का नंबर आता है। स्वास्थ्य, परिवहन, पुलिस, ग्रामीण विकास, उर्जा, समाज कल्याण और पोषण, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण और शहरी विकास जैसे क्षेत्रों में भी बजट आवंटन का बड़ा हिस्सा गया है।

 

पिछले दो सालों में ऐसे हुआ है बजट आवंटन

 

डॉ. रविंद्र ब्रम्हे बताते हैं, 2020-21 के बजट में सरकार ने सबसे अधिक 17 हजार 699 करोड़ का बजट शिक्षा, खेल, कला और संस्कृति काे आवंटित किया था। 2020-21 में यह आवंटन 4% बढ़ाकर 18 हजार 394 करोड़ रुपए कर दिया गया। कृषि और संबद्ध सेवाओं के लिए 2020-21 में 15 हजार 378 करोड़ दिए गए थे। वहीं 2021-22 में यह 8% बढ़ाकर 16 हजार 640 करोड़ रुपए कर दी गई। तीसरा बड़ा सेक्टर स्वास्थ्य था, जिसे 2020-21 में 6 हजार 521 करोड़ दिए गए। लेकिन 2021-22 में 9% घटाकर इसका आवंटन 5 हजार 902 करोड़ रुपया कर दिया गया। परिवहन के लिए 2020-21 में 4 हजार 882 करोड़ रुपए दिए गए। वहीं 2021-22 में 40% राशि बढ़ाकर 6 हजार 818 करोड़ रुपए आवंटित किए गए।

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