डेंजर जोन में फंसे CG के स्टूडेंट, यूक्रेन के खारकिव और सम्मी में बमबारी से खतरा और परेशानी बढ़ी.. अब छात्रों को बाहर निकालने आगे आए अमेरिकी छत्तीसगढ़ी! Featured

बोलता गांव डेस्क।। यूक्रेन में एक दिन की राहत के बाद मंगलवार को फिर से बमबारी शुरू हो गई है। ऐसे में छत्तीसगढ़ समेत देश के हजारों स्टूडेंट्स की वतन वापसी की राह में फिर से रोड़ा खड़ा हो गया है। कीव में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स को एडवाजरी जारी कर दूतावास ने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली। उन्हें कैसे और कहां जाना है यह तक नहीं बताया गया। इधर, खारकिव और सम्मी में रूसी सेना लगातार बमबारी कर रही है। इसके चलते ये इलाका डेंजर जोन बना हुआ है और यहां फंसे छात्रों की परेशानी और बढ़ रही है।

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वहीं मंगलवार को गोले-बारूद के ढेर से होते हुए स्टूडेंट्स किसी तरह रेलवे स्टेशन और सड़क मार्ग से कीव से बाहर निकले। अभी भी यूक्रेन के पश्चिमी शहर और रूस के बीच बहुत से स्टूडेंट्स फंसे हुए हैं। युद्ध और कर्फ्यू के हालात में उनका बाहर निकलना मुश्किल है। इस बीच प्रवासी छत्तीसगढ़ियों के लिए अमेरिका में काम कर रही संस्था NACHA (नॉर्थ अमिरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन) छत्तीसगढ़ी छात्रों के मदद के लिए आगे आई है। ये संस्था अलग-अलग तरह से बच्चों की मदद करने लगी हुई है।

छत्तीसगढ़ के बच्चों को यूक्रेन से निकालने के लिए NACHA के प्रेसीडेंट गणेश कर लगातार प्रयास कर रहे हैं।

NACHA ने बनाई 150 से अधिक बच्चों की सूची

 

NACHA की टीम लगातार छत्तीसगढ़ के स्टूडेंटस को अलग-अलग सूमह में एकत्रित कर उन्हें सुरक्षित करने में जुटी हुई है। NACHA के प्रेसीडेंट गणेश कर और उनकी टीम ने यूक्रेन में पढ़ने वाले छत्तीसगढ़ के 150 से अधिक बच्चों की सूची तैयार की है। उन्होंने दैनिक भास्कर को बताया कि शुरूआत के दो दिन बच्चों की सूची तैयार करने में लगा। फिर उन्हें युद्ध के हालात में बंकर और मेट्रो में रहने की सलाह दी गई। उन्होंने पहले यूक्रेन के पूर्वी इलाकों के स्टूडेंट्स को बॉर्डर तक पहुंचाने की योजना बनाई। सोमवार को कर्फ्यू हटते ही कीव और खारकिव के साथ ही आसपास के बच्चों को ट्रेन, बस और टैक्सी के जरिए पूर्वी शहरों की ओर ले जाया गया।

 

यूक्रेनियन भी छोड़ रहे शहर, इंडियन स्टूडेंट्स से कर रहे दुर्व्यवहार

यूक्रेन में हमला होने के बाद कीव सहित पश्चिमी शहर के यूक्रेनियन अब देश छोड़कर भाग रहे हैं। ऐसे में रेलवे स्टेशनों में उनकी भीड़ बढ़ गई है। स्थानीय लोग ट्रेन में पहले जाने के लिए मशक्कत कर रहे हैं। इस स्थिति में यूक्रेनियन धक्का मुक्की और धमकी देने लगे हैं। उनके द्वारा इंडियन स्टूडेंट्स को ट्रेन में चढ़ने से रोका जा रहा है। यही वजह है कि भारतीय छात्रों को दूसरी ट्रेनों का सहारा लेना पड़ रहा है।

 

यूक्रेन-रूस बॉर्डर के इलाकों में फंसे हैं छत्तीसगढ़ के 50 से अधिक स्टूडेंट्स

उन्होंने बताया कि मंगलवार को उन्होंने खारकिव, सम्मी सहित ईस्ट जोन में फंसे बच्चों की जानकारी जुटाई और उनसे संपर्क किया, तब पता चला कि यूक्रेन के पश्चिमी शहर और रूस बॉर्डर के बीच छत्तीसगढ़ के 50 से अधिक बच्चे अब भी फंसे हुए हैं। जिन्हें युद्ध की हालात में बाहर निकालना मुश्किल है। इसके लिए उन्होंने रूस सरकार की मदद से रूस बॉर्डर से निकालने में आसानी होने की बात कही है।

 

खारकिव से आज निकलेंगे स्टूडेंट्स

इधर, बमबारी और कर्फ्यू के बीच छत्तीसगढ़ समेत भारत के अलग-अलग राज्यों के हजारों बच्चे खारकिव में फंसे हैं। बुधवार की सुबह उन्हें रेलवे स्टेशन पहुंचने कहा गया है। उम्मीद है कि सभी बच्चे सुरक्षित पूर्वी शहरों की तरफ आ सकेंगे। दरअसल, युद्ध के हालात में स्टूडेंट्स अपनी रिस्क पर निकल रहे हैं। ऐसे में उन्हें सुरक्षा का भी खतरा लग रहा है।

 

स्थानीय एजेंट से ले रहे मदद

NACHA के प्रेसीडेंट गणेश कर ने बताया कि उनके संपर्क में छत्तीसगढ़ एनआरआई परिवार हैं, जिनके साथ मिलकर यूक्रेन में फंसे स्टूडेंट्स को निकालने प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही बॉर्डर में भी उनकी टीम के लोग मदद कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यूक्रेन में स्थानीय एजेंट के सहयोग से बच्चों को सुरक्षित करने और राहत पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।

 

 

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