बोलता गांव डेस्क।। जंग के दूसरे दिन ही रूसी सेना यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंच चुकी है। NATO चीफ से लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति तक मिलिट्री एक्शन से पीछे हट गए हैं। उन्होंने कहा है कि यूक्रेन को अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी। बेबस यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा है, 'मैं रूस का नंबर एक टारगेट हूं, मेरा परिवार दूसरे नंबर का टारगेट है।'
जंग के इस मोड़ पर तीन अहम सवाल उठ रहे हैं- 1. अगले 24 घंटे में क्या सिनेरियो होंगे? 2 .यूक्रेन के राष्ट्रपति के पास अब क्या रास्ते बचे हैं? 3. क्या जंग अपने अंजाम के करीब है? आइए, तीनों सवालों को जवाब और उसके पीछे की वजहों को समझते हैं...
1. अगले 24 घंटे में क्या सिनेरियो बन रहे हैं?
राष्ट्रपति जेलेंस्की की गिरफ्तारीः यूक्रेन के गृह मंत्री एंटोन गेराशचेंको ने एक बयान जारी कर बताया कि शुक्रवार, 25 फरवरी को रूस की योजना यूक्रेन की राजधानी कीव को घेरने की है। यहां सुबह से ही धमाके सुनाई दे रहे हैं। ये धमाके क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों से किए गए हैं। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने बताया कि कुछ रूसी सैनिक राजधानी कीव तक पहुंच चुके हैं। ये साफ इशारा है कि अगले कुछ घंटों में रूसी सेना के कमांडो दस्ते प्रेसिडेंट ऑफिस पर कब्जा करके राष्ट्रपति जेलेंस्की को पकड़ सकते हैं।
यूक्रेन में कब्जा नहीं, सत्ता परिवर्तनः रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मिलिट्री ऑपरेशन का आदेश देते हुए कहा था कि हम अपने पड़ोसी यूक्रेन पर कब्जा नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा- लोगों की रक्षा के लिए हमारा उद्देश्य यूक्रेन से सैन्य तैनाती खत्म करना और उसका विनाजीकरण करना है। पुतिन यूक्रेन की मौजूदा सरकार को नाजियों की कठपुतली बताते हैं। पुतिन का यह बयान साफ इशारा है कि यूक्रेन पर रूस पूरी तरह कब्जा नहीं करेगा, बल्कि यूक्रेनी सेना को खत्म करके सत्ता परिवर्तन करेगा। यानी यूक्रेन पर रूस की सेना रहेगी और सत्ता पर उनकी कठपुतली सरकार।
2. यूक्रेन के राष्ट्रपति के पास अब क्या रास्ते हैं?
मौजूदा सिनेरियो बता रहा है कि बिना बाहरी सपोर्ट के यूक्रेन अब ज्यादा देर रूस का मुकाबला नहीं कर सकता है। जेलेंस्की ने कहा है कि हम 96 घंटे से ज्यादा रूस को नहीं रोक पाएंगे। किसी भी वक्त रूस की मिलिट्री राष्ट्रपति भवन में दाखिल हो सकती है। ऐसे में राष्ट्रपति जेलेंस्की के पास तीन रास्ते हैं। वो हार मानकर समर्पण कर दें, देश छोड़कर भाग जाएं या रूसी सेना के हाथों गिरफ्तार हो जाएं।
3. क्या रूस-यूक्रेन जंग अंजाम के करीब है?
इस सवाल का जवाब हां है। इसके पीछे NATO का सैन्य कार्रवाई से इनकार, आधी-अधूरी आर्थिक पाबंदी और यूक्रेन की कमजोर मिलिट्री वजह है।
यूक्रेन को अकेला छोड़ाः NATO से लेकर अमेरिका तक ने रूसी हमले की कड़ी निंदा की है, लेकिन यूक्रेन की मदद के लिए मिलिट्री भेजने से भी साफ इनकार कर दिया है। NATO देश अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व में आज शुक्रवार को वर्चुअल मीटिंग करेंगे जिसमें यूक्रेन के मुद्दे पर कुछ फैसला लिया जा सकता है। हालांकि, बिना मिलिट्री की मदद के यूक्रेन ये युद्ध ज्यादा दिन नहीं खींच सकता।
आर्थिक पाबंदी भी आधी अधूरीः अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, जापान, यूरोपियन यूनियन और ऑस्ट्रेलिया ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। हालांकि, ये आर्थिक पाबंदी भी आधी-अधूरी है, जिससे रूस को कोई खौफ नहीं है। रूस को सबसे बड़े बैंकिंग सिस्टम SWIFT से बाहर नहीं निकाला है और पुतिन पर भी रोक नहीं लगाई है। यही वजह है कि पुतिन ने यूक्रेन में फुल-फ्लेज्ड वार का आदेश दे दिया।
यूक्रेन की कमजोर मिलिट्रीः रूस का डिफेंस सेक्टर दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में से है। यूक्रेन उसके सामने कहीं नहीं टिकता। यही वजह है कि वो रूस का ज्यादा दिन तक मुकाबला नहीं कर सकता है और ये जंग अपने अंजाम की तरफ बढ़ रही है।