मंजिल उन्हें मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। किसी शायर की यह लाइनें बहुत लोगों ने पढ़ी और सुनी होगी,
बस्तर के एक छोटे से आदिवासी बहुल गांव एक्टागुड़ा की रहने वाली बेटी नैना सिंह धाकड़ ने इसे खूब ठीक से समझा और साबित कर दिया कि हौसलों के दम पर आसमां भी हासिल किया जा सकता है।
नैना दुनिया की आसमां को छूती सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट (8848.86 मीटर) पर पहुंचने में सफल रही हैं।
हर पर्वतारोहियों की इच्छा होती है कि वह माउंट एवरेस्ट पर पहुंचकर अपने क्षेत्र और देश का नाम रोशन करें।
इस सपने को लेकर कई लोग माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की कोशिश भी करते हैं पर उनमें सफलता कुछ को ही हासिल होती है।
माउंटेन गर्ल के नाम पर बस्तर और प्रदेश में चर्चित नैना ने अपने नाम को चरितार्थ करके यह धाकड़ काम कर दिखाया है। 28 वर्षीय नैना एवरेस्ट पर पहुंचने वाली वह छत्तीसगढ़ की पहली महिला पर्वतारोही हैं।
इसके साथ ही उन्होंने माउंट लोत्से (8516 मीटर) को भी फतह किया है। उनकी यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ के साथ बस्तर के लिए गर्व का विषय है।