DSSSB PGT Recruitment: कहते हैं आपके अंदर धैर्य और साहस है, तो आपको कोई डिगा नही सकता. दिल्ली का ऐसा ही मामला सामने आया है. एक महिला ने दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (DSSSB) की पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (PGT) भर्ती के लिए आवेदन किया, लेकिन कुछ कारणों से उनकी नियुक्ति रोक दी गई, जिसके बाद उन्होंने कानूनी लड़ाई लड़ी. आखिरकार 12 साल बाद उनके पक्ष में फैसला आया, जिसके बाद उनके चेहरे पर मुस्कान तैर गई. आइए आपको बताते हैं पूरी कहानी…
यह कहानी तकरीबन 12 साल पुरानी है. दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (DSSSB) की पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (PGT) के पदों पर भर्तियां निकाली थीं. ये भर्तियां दिसंबर 2011 में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में टीचर्स के लिए निकाली गई थीं. इसके लिए सोनीपत, हरियाणा की शबाना परवीन ने भी आवेदन किया था. उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (PGT) इकोनॉमिक्स के पद पर नियुक्ति के लिए अप्लाई किया था, लेकिन तकनीकी आधार का हवाला देकर उनकी नियुक्ति रोक दी गई, जिसके बाद उन्होंने कानून का सहारा लिया.
DSSSB Vacancy: शबाना का मेरिट लिस्ट में था छठवां स्थान
वर्ष 2011 की दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (DSSSB)की पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (PGT) परीक्षा में शबाना परवीन ने छठवां स्थान हासिल किया था. पीजीटी वैकेंसी के तहत अनारक्षित उम्मीदवारों के कुल पांच पद थे. शबाना की ओर से दायर याचिका में बताया गया है कि पीजीटी रिजल्ट में जिन पांच प्रथम स्थान पाने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की गई थी, उसमें से डॉक्यूमेंटस वेरिफिकेशन के दौरान खामियां मिलने पर एक महिला उम्मीदवार की उम्मीदवारी कैंसिल कर दी गई थी, जिसके बाद शबाना का नाम मेरिट लिस्ट में पांचवें नंबर पर आ गया था, लेकिन इसके बाद भी उनकी नियुक्ति नहीं की गई.
DSSSB पहले कैट में की अपील
शबाना परवीन ने अपनी नियुक्ति रोके जाने के बाद केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण कैट (CAT) में अपील की थी, जिसमें उनकी जीत हुई थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने कैट के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. जिसकी वजह से उनकी नियुक्ति में और देरी हुई, लेकिन अब दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में उनके पक्ष में फैसला दिया है.
Delhi High court DSSSB Verdict: हाईकोर्ट ने क्या दिया फैसला
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (DSSSB) की पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (PGT) नियुक्ति मामले की सुनवाई के दौरान यह पाया कि शबाना परवीन एक दशक पहले ही नियुक्ति पाने की अधिकारी थी, लेकिन कुछ कारणों का हावाला देकर उनकी नियुक्ति रोक दी गई, जो कि सही नहीं थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में दिल्ली सरकार को शबाना परवीन को पीजीटी इकोनॉमिक्स के पद पर नियुक्त करने को कहा है. जस्टिस सी हरिशंकर और जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता की पीठ ने सरकार को इन लंबित वर्षों की अनुमानित सैलेरी भी देने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने शबाना परवीन को 12 साल पहले के हिसाब से वरिष्ठता क्रम में नियुक्त करने के आदेश भी दिए हैं.