बोलता गांव डेस्क।। पुणे के यरवदा के शास्त्रीनगर इलाके में गुरुवार की रात एक निर्माणाधीन मॉल का आयरन स्लैब गिरने से 6 मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई। 4 अन्य घायल हुए हैं, इनमें से तीन जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। जिंदा बचे मजदूरों में कई ऐसे हैं जो 10 मिनट पहले तक मृत हुए मजदूरों के साथ काम कर रहे थे। दुर्घटना कुछ देर पहले हुई होती तो 17 और मजदूर इसमें दबते और मरने वालों का आंकड़ा बहुत ज्यादा हो सकता था। जो जिंदा बचे हैं उनका आरोप है कि हमारे अपनों को इस दुनिया से गए 12 घंटे से ज्यादा का समय हो गया, लेकिन न ठेकेदार और न ही कंपनी का कोई आदमी उनका हाल जानने के लिए यहां आया है।
इस मॉल का निर्माण पुणे की अहलूवालिया कंस्ट्रक्शन कंपनी की ओर से किया जा रहा है। शुरुआती जांच में कंपनी के इंजीनियरों की लापरवाही सामने आ रही है। पुणे के पुलिस कमिश्नर अमिताभ गुप्ता के आदेश पर कंपनी के खिलाफ लापरवाही का केस दर्ज किया गया है। हादसे में बाल-बाल बचे मजदूरों का कहना है कि जाल को अगर सही समय पर हटाया गया होता तो कइयों की जान बचाई जा सकती थी। हमने अपने पास मौजूद औजारों से ही जाल के नीचे दबे मजदूरों को बाहर निकाला।
मरने वाले सभी मजदूर बिहार के कटिहार जिले के रहने वाले थे। जिन लोगों की इस हादसे में मौत हुई है, उनमें मोहम्मद सोहेल अहमद, मोहम्मद मोबिन आलम, एमडी समीर, मसरूफ हुसैन और मुनीब आलम शामिल हैं। सभी पिछले तकरीबन एक साल से पुणे में रह रहे थे। मजदूरों के जख्मों पर मरहम लगाते हुए राज्य सरकार ने सभी मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए देने का ऐलान किया है। इसके अलावा डिप्टी CM अजित पवार ने इस पूरे हादसे की जांच का आदेश दे दिया है।
कंपनी के स्टाफ ने नहीं की कोई भी हेल्प
अपने भाई सोहेल अहमद को इस दुर्घटना में गंवाने वाले मोहम्मद अंजार ने बताया, 'रात 10 बजे भाई से आखिरी बार बात हुई थी। इसके बाद हम सोने के लिए जा रहे थे। इसके बाद तकरीबन 11 बजे फोन आया कि भाई खत्म हो गया है। साइट पर न इंजीनियर था, न सेफ्टी वाला था और न ही सुपरवाइजर मौजूद था। जाल के नीचे दबे लोगों को निकालने में तकरीबन एक घंटे का समय लग गया। हमारे लोग नीचे दबे हुए थे और कंपनी का कोई स्टाफ उन्हें निकालने में कोई मदद नहीं कर रहा था।'
हादसे में अपने भतीजे को गंवाने वाले तहजीब आलम ने कहा, 'अगर जाल को हटाने का काम जल्दी में किया गया होता तो यह पांच लोग भी नहीं मरते। जाल को हटाने के लिए क्रेन का इस्तेमाल करना चाहिए था। कंपनी वालों ने कोई मदद नहीं की है।'
दुर्घटना के लिए कंस्ट्रक्शन इंजीनियर जिम्मेदार
मोहम्मद अंजार ने आगे बताया, 'इसमें सबसे बड़ी गलती इंजीनियर की है। सरिए के जाल को पिलर बना कर खड़ा करना चाहिए था, उसके नीचे चेयर का इस्तेमाल होना चाहिए था, लेकिन उसने लोहे के सरिए के सहारे इस जाल को वेल्डिंग कर खड़ा किया था। इसी वजह से यह दुर्घटना हुई। 32 नंबर का सरिया था उसे काटने में समय तो लगने ही वाला था।'
10 मिनट पहले होती दुर्घटना तो कइयों की जाती जान
मोहम्मद अंजार ने बताया कि हादसे से 10 मिनट पहले कंस्ट्रक्शन साइट पर 30 लोग काम कर रहे थे। इनमें से 17 लोग सरिया और अन्य कंस्ट्रक्शन का सामान लाने के लिए गोदाम तक गए थे। अगर यह हादसा कुछ देर पहले हुआ होता तो ये भी इसकी चपेट में आते और बहुत लोग मरते।
मजदूरों के साथ हुआ अमानवीय व्यवहार: स्थानीय विधायक
स्थानीय NCP विधायक सुनील टिंगरे भी मजदूरों के जख्मों पर मरहम लगाने आधी रात यहां पहुंचे। उन्होंने कहा कि मजदूरों के साथ अमानवीय व्यवहार हुआ है। उनसे लगातार 24 घंटे काम करवाया जा रहा था। इसके निर्माण के दौरान लापरवाही हुई है, इसलिए हम मामले में जब तक जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती, तब तक चुप नहीं बैठेंगे। आगामी विधानसभा सत्र के दौरान हम श्रमिकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाएंगे और यह प्रयास करेंगे कि मजदूरों की सुरक्षा को लेकर कड़ा कानून बने।