उत्तर प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता जितिन प्रसाद ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। उनके 2019 में ही कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आने की चर्चा चली थी। दावा यहां तक किया जाता है कि जितिन प्रसाद बीजेपी में शामिल होने के लिए दिल्ली रवाना हो चुके थे, लेकिन यूपी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उन्हें फोन कर मना लिया और प्रसाद रास्ते से लौट गए। अब कहा जा रहा है कि इस बार जितिन प्रसाद ने दो दिनों से अपना फोन बंद कर रखा था।
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बीजेपी का चुनाव अभियान शुरू
बहरहाल, जितिन प्रसाद के बीजेपी में लाते ही राज्य विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को कमजोर करने के बीजेपी के अभियान की शुरुआत हो गई है। जितिन प्रसाद से बीजेपी को मिली मजबूती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो ब्राह्मणों के बड़े नेता माने जाते हैं और यूपी में ब्राह्मण मतदाताओं की 10% की बड़ी हिस्सेदारी है।
क्या कहा जितिन ने कहा
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मैंने महसूस किया कि अगर आप अपने लोगों के हितों की रक्षा नहीं कर सकते या उनके लिए काम नहीं कर सकते तो पार्टी में रहने की क्या प्रासंगिकता है। मुझे लगा कि मैं कांग्रेस में ऐसा करने में असमर्थ हूं। मैं कांग्रेस के उन लोगों का शुक्रिया अदा करता हूं जिन्होंने इतने साल मुझे आशीर्वाद दिया लेकिन अब मैं एक समर्पित भाजपा कार्यकर्ता के रूप में काम करूंगा
कौन हैं जितिन प्रसाद?
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में पैदा हुए 48 साल के जितिन प्रसाद कांग्रेस के दिवंगत नेता और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं. प्रसाद ने अपना राजनीतिक करियर साल 2001 में कांग्रेस के युवा संगठन यूथ कांग्रेस के साथ महासचिव के तौर पर शुरू किया था. साल 2004 में उन्होंने अपने गृह जिले शाहजहांपुर से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता.
अपने पहले कार्यकाल में जितिन प्रसाद को कांग्रेस सरकार में इस्पात राज्य मंत्री बनाया गया. वे मनमोहन सिंह सरकार में सबसे युवा मंत्रियों में से एक थे. साल 2009 में उन्होंने धरौरा से चुनाव लड़ा. उन्होंने मीटर गेज लाइन को ब्रॉडगेज में बदलने का वादा किया. जिससे उन्हें भरपूर जनसमर्थन मिला. उन्होंने दो लाख वोट से जीत हासिल की थी.