भाजपा अल्पसंख्यक विंग के प्रमुख जमाल सिद्दीकी ने सोमवार को कहा कि इस कदम से सकारात्मक संदेश जाएगा और हर कोई इसे तहे दिल से स्वीकार करेगा।एएनआई से बात करते हुए सिद्दीकी ने कहा कि इंडिया गेट वैश्विक मंच पर भारत की पहचान का प्रतीक है।
उन्होंने कहा, हमने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि वे इस बात को मान्यता दें कि इंडिया गेट केवल एक स्मारक नहीं है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की पहचान का प्रतीक है। यह पहचान हमारी विरासत से जुड़ी होनी चाहिए और इसका नाम बदलकर 'भारत माता द्वार' रखने से सकारात्मक संदेश जाएगा। इस संरचना पर अनगिनत शहीदों के नाम उत्कीर्ण हैं और यह उनके प्रति श्रद्धांजलि भी होगी।उन्होंने कहा, दुनिया भर से आने वाले आगंतुक अपने साथ यह सार्थक संदेश लेकर जाएंगे। इसीलिए हमने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि जिस तरह उन्होंने किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा के स्थान पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित की है - जो कांग्रेस के 70 साल के शासन के दौरान नहीं हो पाई थी - वह युवाओं को एक नया संदेश देकर प्रेरित करेगी।
पहले भी बदले गए हैं ये नाम
बता दें कि साल 2015 में दिल्ली के लुटियंस दिल्ली इलाके में स्थित औरंगजेब लेन का नाम बदलकर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम लेन कर दिया गया था। औरंगजेब लेन अब्दुल कलाम रोड को पृथ्वीराज रोड से जोड़ती है। औरंगजेब लेन का नाम बदलने की मांग इससे पहले से ही हो रही थी। इसके बाद अंत में 2015 में एनडीएमसी ने इसे मंजूरी दे दी और नाम बदल दिया।
कई साल से हो रही नाम बदलने की मांग
दिल्ली में पिछले कई साल से कई और सड़कों का नाम बदलने की मांग हो रही है। इसके लिए कई गैर सरकारी संगठन और राजनीतिक दल के नेता सरकार को पत्र भी लिख चुके हैं। जिन सड़कों की सबसे ज्यादा चर्चा होती है उसमें मुगल शासकों और ब्रिटिश पदाधिकारियों के नाम पर बनी सड़कें शामिल हैं। इसमें डलहौजी रोड, मिंटो रोड, हेली रोड, हुमायूं रोड, बाबर रोड, शाहजहां जैसी कई सड़कें हैं।