चंपई सोरेन ने किया नई पार्टी बनाने का ऐलान Featured

चंपई सोरेन ने किया नई पार्टी बनाने का ऐलान, कहा- "रास्ते में मिला कोई दोस्त, तो..."चंपई सोरेन ने हाल ही में सोशल मीडिया साइट पर एक पोस्ट कर जेएमएम नेतृत्व पर अपमानित करने का आरोप लगाया था.

नई दिल्ली:

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री (Former Chief Minister) चंपई सोरेन (Champai Soren) ने नई पार्टी बनाने का ऐलान किया है. इस दौरान उन्होंने कहा कि वह संघर्ष करेंगे और नई पार्टी को खड़ा करेंगे साथ ही चंपई सोरेन ने कहा कि अगर इस दौरान रास्ते में कोई दोस्त मिला तो वह उससे हाथ भी मिलाएंगे. मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद चंपई सोरेन ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था, इस्तीफा देने के कुछ दिन बाद उनकी नाराजगी उभर कर सामने आई थी

बीजेपी में शामिल होने की लग रही थी अटकलें

झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें पिछले कुछ दिनों से लगाए जा रहे थे. चर्चा यह भी थी बीजेपी के शीर्ष नेताओं से उनकी बात भी हुई थी जेएमएम के कुछ विधायक भी उनके संपर्क में थे. हालांकि बीजेपी के साथ उनकी बात नहीं बनी. वापस झारखंड आने के बाद उन्होंने नई पार्टी बनाने का ऐलान किया है.

मैंने हमेशा जन-सरोकार की राजनीति की है: चंपई सोरेन

चंपई सोरेन ने लिखा था कि अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत में औद्योगिक घरानों के खिलाफ मजदूरों की आवाज उठाने से लेकर झारखंड आंदोलन तक, मैंने हमेशा जन-सरोकार की राजनीति की है. राज्य के आदिवासियों, मूलवासियों, गरीबों, मजदूरों, छात्रों एवं पिछड़े तबके के लोगों को उनका अधिकार दिलवाने का प्रयास करता रहा हूं. किसी भी पद पर रहा अथवा नहीं, लेकिन हर पल जनता के लिए उपलब्ध रहा, उन लोगों के मुद्दे उठाता रहा, जिन्होंने झारखंड राज्य के साथ, अपने बेहतर भविष्य के सपने देखे थे. 

चंपई सोरेन ने अपमान करने का लगाया था आरोप

चंपई सोरेन ने कहा था कि क्या लोकतंत्र में इस से अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? अपमान का यह कड़वा घूंट पीने के बावजूद मैंने कहा कि नियुक्ति पत्र वितरण सुबह है, जबकि दोपहर में विधायक दल की बैठक होगी, तो वहां से होते हुए मैं उसमें शामिल हो जाऊंगा. लेकिन, उधर से साफ इंकार कर दिया गया.

झारखंड आंदोलनकारी रह चुके हैं चंपई सोरेन

चंपई सोरेन ने अलग झारखंड राज्य आंदोलन में लंबी लड़ाई लड़ी थी. झारखंड मुक्ति मोर्चा में कई बार विभाजन के बाद भी वो शिबू सोरेन के साथ डटे रहें थे. पहली बार साल 1991 में वो विधायक बने थे.1991 में उन्होंने निर्दलीय जीत दर्ज की थी बाद में वो जेएमएम में शामिल हो गए. साल 2000 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था लेकिन 2005 के बाद से वो लगातार जीतते रहे हैं. पहली बार बीजेपी और झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन की सरकार में वो मंत्री बने थे. बाद में वो हेमंत सोरेन के पहले कार्यकाल में भी मंत्री बने. साल 2019 के चुनाव में कोल्हान क्षेत्र में जेएमएम की अच्छी जीत में भी उनका बड़ा योगदान माना जाता है.

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